Bhasha vigyan ki bhoomika
Material type:
- H 410 SHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 410 SHA (Browse shelf(Opens below)) | Available | 65696 |
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भाषाविज्ञान सामान्यतः दुरूह और नीरस विषय माना जाता है, लेकिन प्रोफेसर देवेन्द्रनाथ शर्मा ने "भाषाविज्ञान की भूमिका' के माध्यम से इस प्रचलित धारणा को तोड़ने का एक सफल और सार्थक प्रयास किया है इसके मूल में एक ओर जहाँ लेखक के पैतृक संस्कार और कई दशकों के व्याव हारिक अनुभव की समृद्ध पृष्ठभूमि है, वहीं अन्तर राष्ट्रीयता से सम्पन्न वैज्ञानिक दृष्टि भी है। लेखक के ही शब्दों में, इस पुस्तक के लिखने में “दो प्रेरक तत्व रहे हैं - एक तो, भाषाविज्ञान को प्रांजल एवं अक्लिष्ट रूप में प्रस्तुत करना, दूसरे, भाषाविज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को यथासम्भव उभारकर रखना।" पुस्तक में विषयवस्तु को तीन खण्डों में विभाजित विवेचित किया गया है - भाषा, भाषाविज्ञान और लिपि अनपेक्षित विस्तार और जटिलता से बचकर भाषाविज्ञान के आधारभूत सिद्धान्तों को बोधगम्य रूप में उपस्थित करना ही लेखक का प्रमुख उद्देश्य रहा है। इस दृष्टि से यह पुस्तक न केवल विश्वविद्यालयों, पाठ्यक्रमों से जुड़े छात्रों अध्यापकों के लिए बल्कि भाषा और उसके वैज्ञानिक स्वरूप को जानने-समझने की जिज्ञासा रखने वाले सामान्य जिज्ञासु पाठकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी है।
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