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Aadhunik bhasha vigyan

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Vani Prakashan; 1996Description: 373 pISBN:
  • 8170554837
DDC classification:
  • H 410 SHA
Summary: मनुष्य बहुत बड़ा कलाकार है। उसकी कलाकारी का एक नमूना है-उसकी भाषा। वह भाषा, जो उसकी जाति है, धर्म है, संस्कृति है, सभ्यता है और है उसकी विजय पताका। और जिसके माध्यम से वह अपनी अनुभूति को अभिव्यक्त करता है, अभिव्यक्ति को सुरक्षित रखता है। पर यह माध्यम है कैसा ? यह तो 'कोस कोस पर पानी बदले पाँच कोस पर बानी परिवर्तन की इस प्रकृति के बावजूद भाषा एक व्यवस्था है। इसको व्यवस्थित ज्ञान का रूप तथा उसे जानने-समझने का सूत्र देती है ज्ञान-विज्ञान की शाखा-'भाषा विज्ञान' भाषा-विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जो हमें संसार की मृत या जीवित भाषा की पुननिर्मिति का सूत्र प्रदान करता है, भाषा के विभिन्न अंगों पक्षों के विवेचन-विश्लेषण का सिद्धान्त देता है और उसके तथा उसके प्रयोक्ताओं के इतिहास, सभ्यता तथा संस्कृति की प्रामाणिक जानकारी प्रस्तुत करता है। इतना ही नहीं, आज ज्ञान-विज्ञान के अन्य क्षेत्र भी सहायता हेतु भाषा-विज्ञान के द्वार पर दस्तक दे रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक भाषा विज्ञान की बढ़ती इसी महत्ता को रेखांकित करने की दिशा में बढ़ा एक कदम है। इसमें भाषा की परिभाषा, सीमा, पक्ष, अंग, तत्व, प्रकृति, उत्पत्ति के कारण, वर्गीकरण के सिद्धान्त आदि को प्रस्तुत करते हुए भाषा विज्ञान के इतिहास, इसके प्रमुख अंगों-स्वन, रूप, शब्द, वाक्य, अर्थ, 'लिपि आदि के विवेचन-विश्लेषण, सिद्धांत-निरूपण के साथ-साथ शैली विज्ञान, सर्वेक्षण पद्धति एवं भाषा-भूगोल, अनुवाद विज्ञान, समाज एवं मनोभाषा विज्ञान आदि जैसी भाषा विज्ञान की अद्यतन विकसित गीण शाखाओं और उनके प्रायोगिक संदर्भों के सैद्धान्तिक स्वरूप की सहज और सरस प्रस्तुति का भी प्रयास है।
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मनुष्य बहुत बड़ा कलाकार है। उसकी कलाकारी का एक नमूना है-उसकी भाषा। वह भाषा, जो उसकी जाति है, धर्म है, संस्कृति है, सभ्यता है और है उसकी विजय पताका। और जिसके माध्यम से वह अपनी अनुभूति को अभिव्यक्त करता है, अभिव्यक्ति को सुरक्षित रखता है। पर यह माध्यम है कैसा ? यह तो 'कोस कोस पर पानी बदले पाँच कोस पर बानी परिवर्तन की इस प्रकृति के बावजूद भाषा एक व्यवस्था है। इसको व्यवस्थित ज्ञान का रूप तथा उसे जानने-समझने का सूत्र देती है ज्ञान-विज्ञान की शाखा-'भाषा विज्ञान' भाषा-विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जो हमें संसार की मृत या जीवित भाषा की पुननिर्मिति का सूत्र प्रदान करता है, भाषा के विभिन्न अंगों पक्षों के विवेचन-विश्लेषण का सिद्धान्त देता है और उसके तथा उसके प्रयोक्ताओं के इतिहास, सभ्यता तथा संस्कृति की प्रामाणिक जानकारी प्रस्तुत करता है। इतना ही नहीं, आज ज्ञान-विज्ञान के अन्य क्षेत्र भी सहायता हेतु भाषा-विज्ञान के द्वार पर दस्तक दे रहे हैं।
प्रस्तुत पुस्तक भाषा विज्ञान की बढ़ती इसी महत्ता को रेखांकित करने की दिशा में बढ़ा एक कदम है। इसमें भाषा की परिभाषा, सीमा, पक्ष, अंग, तत्व, प्रकृति, उत्पत्ति के कारण, वर्गीकरण के सिद्धान्त आदि को प्रस्तुत करते हुए भाषा विज्ञान के इतिहास, इसके प्रमुख अंगों-स्वन, रूप, शब्द, वाक्य, अर्थ, 'लिपि आदि के विवेचन-विश्लेषण, सिद्धांत-निरूपण के साथ-साथ शैली विज्ञान, सर्वेक्षण पद्धति एवं भाषा-भूगोल, अनुवाद विज्ञान, समाज एवं मनोभाषा विज्ञान आदि जैसी भाषा विज्ञान की अद्यतन विकसित गीण शाखाओं और उनके प्रायोगिक संदर्भों के सैद्धान्तिक स्वरूप की सहज और सरस प्रस्तुति का भी प्रयास है।

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