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Bhasha aur praudyogikee

By: Material type: TextTextPublication details: Kanpur; Rachanatamak Lekhan Prakashan; 1987Description: 387 pDDC classification:
  • H 410 BHA
Summary: भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के भाषा माध्यम को लेकर दुविधा और विवाद की स्थिति रही है। लेकिन यह निर्विवाद है कि विज्ञान को जन-संस्कृति का हिस्सा बनाने का गुरु-गंभीर कार्य विना भारतीय भाषाओं को माध्यम बनाये पूरा नहीं हो सकता । विषय के सारे पक्षों पर विचार करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में त्रिदिवसीय संगोष्ठी का आयो जन किया गया। इस संगोष्ठी में प्रख्यात वैज्ञानिक, भाषाविद, साहित्यकार और चिन्तक सम्मिलित हुए। 'भाषा और प्रौद्योगिकी' में इसी महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी का विस्तृत विवरण पुस्तकाकार संकलित किया गया है। संगोष्ठी में पढ़े गये आलेख, वक्तव्य और विचार-विमर्श प्रौद्योगिकी और भाषा के आपसी संबंधों पर पुनर्विचार की शुरुआत करते हैं ।
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भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के भाषा माध्यम को लेकर दुविधा और विवाद की स्थिति रही है। लेकिन यह निर्विवाद है कि विज्ञान को जन-संस्कृति का हिस्सा बनाने का गुरु-गंभीर कार्य विना भारतीय भाषाओं को माध्यम बनाये पूरा नहीं हो सकता । विषय के सारे पक्षों पर विचार करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में त्रिदिवसीय संगोष्ठी का आयो जन किया गया। इस संगोष्ठी में प्रख्यात वैज्ञानिक, भाषाविद, साहित्यकार और चिन्तक सम्मिलित हुए।
'भाषा और प्रौद्योगिकी' में इसी महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी का विस्तृत विवरण पुस्तकाकार संकलित किया गया है। संगोष्ठी में पढ़े गये आलेख, वक्तव्य और विचार-विमर्श प्रौद्योगिकी और भाषा के आपसी संबंधों पर पुनर्विचार की शुरुआत करते हैं ।

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