Chhatr- aandolan: vishleshan aur upalabdhiyaan v.1982
Material type:
- H 371.81 BHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 371.81 (Browse shelf(Opens below)) | Available | 56469 |
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इस शताब्दी की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से छात्र आन्दोलन भी एक रेखांकित उपलब्धि है । असंदिग्ध रूप से यह कहा जा सकता है कि छात्र आन्दोलन की शुरुआत राजनीतिज्ञों के आह्वान पर हुई थी। छात्रों ने स्वतन्त्रता संग्राम में अहम संभूमिका का निर्वाह किया था । परन्तु स्वतन्त्रता के बाद उनकी यही शक्ति उनके व देश के विनाश का कारण सिद्ध होने लगी और कालान्तर में उसमें वे सब बुराइयाँ घुस फँस गईं जोकि किसी संगठन के पतन का कारण बनती हैं। इस दृष्टि से यहाँ पर विस्तृत व गहन संदर्भों में संविश्लेषणा त्मक गवेषणा हुई है और उसके नतीजे सामने आये हैं
छात्र किसी भी समाज व देश के भाग्य निर्णायक हैं भविष्य उनका ही है । उनकी उपेक्षा का अर्थ है कि हम अभिशाप जीना चाहते हैं । परन्तु इसके साथ यह भी ध्यातव्य है कि छात्र वह नहीं है जोकि ज्ञान का जिज्ञासु नहीं है । विचार से दृढ़ नहीं है और चरित्र से गंगा जैसा पवित्र नहीं है यहाँ इस दृष्टि से भी छात्र आन्दोलन को परखा गया है। छात्र आन्दोलन को शक्ति का रूप मानते हुए छात्रों से युग की चुनौतियों को स्वीकार करने का आग्रह भी किया है !
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