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Manak hindi paryaya kosh v.1989

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Vidya Prakashan; 1989Description: 287 pDDC classification:
  • H 491.433 BAH
Summary: पर्याय या समानार्थक शब्द भले ही एक जैसे लगें, पर उनके प्रयोग में अन्तर होता है, इसीलिए शब्दों के पर्यायों का ज्ञान होने से उनके सटीक और उपयुक्त प्रयोग का भंडार अपने पास रहता है । जैसे, भ्रू, भृकुटी, और, भौंह, भले ही समानार्थक हों, पर प्रयोग में 'भ्रू' से क्रोध की वक्रता, 'भृकुटी' से कटाक्ष की चंचलता तथा 'भौंह' से स्वाभाविक प्रसन्नता का बोध होता है ।
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पर्याय या समानार्थक शब्द भले ही एक जैसे लगें, पर उनके प्रयोग में अन्तर होता है, इसीलिए शब्दों के पर्यायों का ज्ञान होने से उनके सटीक और उपयुक्त प्रयोग का भंडार अपने पास रहता है । जैसे, भ्रू, भृकुटी, और, भौंह, भले ही समानार्थक हों, पर प्रयोग में 'भ्रू' से क्रोध की वक्रता, 'भृकुटी' से कटाक्ष की चंचलता तथा 'भौंह' से स्वाभाविक प्रसन्नता का बोध होता है ।

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