Shikshan-takniki c.2
Material type:
- 8185431027
- H 370.7 SHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 370.7 SHA (Browse shelf(Opens below)) | Available | 51100 |
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H 370.7 SEM Satriya karya evam karyanubhav ka mulyankan | H 370.7 SEM Saikshik takniki evam prabandh | H 370.7 SEM Satriya karya evam karyanubhav ka mulyankan | H 370.7 SHA Shikshan-takniki | H 370.7 SHA Shikshan kala | H 370.7 SIN Shikshan taknik | H 370.7 Tri Shikshan Kala |
जनसंख्या तथा ज्ञान के क्षेत्र में विस्फोट होने के कारण शिक्षण प्रविधियों तथा प्रणालियां प्रभावहीन हो गयी हैं। ऐसी विस्फोटक परिस्थितियों में शिक्षण को उचित प्रकार से व्यवस्थित करना प्रत्येक राष्ट्र के सम्मुख एक जटिल समस्या हो गई है। भारत जैसे विकासशील देश में शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये बड़ी कठिनाई हो गई है। ऐसी परिस्थितियों में शिक्षा में गुणात्मक सुधार तभी सम्भव है जब शिक्षक शिक्षण प्रक्रिया की नवीन तथा वैज्ञानिक विधियों का अनुसरण करें ।
शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी के बढ़ते हुये उपयोग को ध्यान में रखकर प्रस्तुत पुस्तक को लिखने का प्रयास किया गया है। पुस्तक का मुख्य उद्देश्य सभी स्तर के शिक्षकों, शिक्षक-प्रशिक्षकों तथा छात्राध्यापकों को शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया से भली भाँति परिचित करना है। ये सिर्फ यह ही नहीं जानपायेंगे कि अपना कार्य सम्पन्न करें वरन् अपनी शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता के बारे में भी पूर्णतः स्पष्ट जानकारी कर सकेंगे। शिक्षक तथा छात्राध्यापक शिक्षण की प्रकृति शिक्षण व्यवस्था, शिक्षण व्यूह रचनाओं, नियमों, युक्तियों, शिक्षण की सभी नवीन तथा वंज्ञा निक विधियों तथा प्रविधियों को समझने में समर्थ होंगे जो वैज्ञानिक ढंग से उपयुक्त तथा अध्यापन को प्रभावशाली बनाने में समर्थ हैं।
पुस्तक की रचना में अनेक हिन्दी तथा अंग्रेजी के विद्वानों को पुस्तकों तथा लेखों से सहायता ली है। उन सभी के प्रति में बाभार व्यक्त करता हूँ ।
मैं अपने कालेज में प्रधानाचार्य डॉ० पी० सी० गुप्ता का विशेष रूप से आभारी हूँ जिन्होंने विषय की महत्ता तथा आवश्यकता को समझते हुये पुस्तक को शीघ्रपूर्ण करने के लिये प्रोत्साहित किया।
मैं डॉ० आर० ए० शर्मा अध्यक्ष, शिक्षा विभाग व डॉ० के०जी० शर्मा, डीन फैकल्टी ऑफ ऐजूकेशन, मेरठ विश्वविद्यालय, मेरठ, डॉ० एस० के० दास गुप्ता, अध्यक्ष, शिक्षा विभाग, मेरठ कॉलेज, मेरठ, डॉ० डी० के० चढ्ढा, अध्यक्ष, शिक्षा विभाग एम० डी० यूनीवर्सिटी, रोहतक का विशेष रूप से आभारी हूँ जिन्होंने पाण्डुलिपि लेखन में पाठ्यवस्तु सम्बन्धी अमूल्य सुझाव दिये तथा समस्याओं का निराकरण कर पुस्तक के लिखने में सहायता की।
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