Sanrachnaatmak bhaasha-vigyan
Material type:
- H 410 CHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 410 CHA (Browse shelf(Opens below)) | Available | 50838 |
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भाषा विज्ञान के अध्ययन की कई शाखाएं प्रचलित है। वर्णनात्मक, ऐति हासिक और संरचनात्मक अध्ययनों में वर्तमान एवं जीवित भाषा के अध्ययन के लिए अधिक रुचि के कारण संरचनात्मक अध्ययन को प्रमुखता दी जाने लगी है। किसी भी भाषा के रहस्य को समझने के लिए उसकी संरचना का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है। यदि दो भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन भी करना हो तो दोनों भाषाओं की संरचना का अध्ययन मुख्य आधार बनेगा इस संरचनात्मक अध्ययन के लिए जो पद्धति अपनाई जाती है उसमें भी स्वन, रूप, वाक्य और अर्थ-विचार अपेक्षित होते हैं।
किसी भाषा का संरचनात्मक अध्ययन बोझिल और दुरूह विषय नहीं है। यह अत्यन्त रुचिकर भी है और भाषा की प्रकृति को समझने तथा उस पर अधिकार पाने के लिए आवश्यक भी भाषा विज्ञान का अध्ययन अत्यन्त प्राचीन काल से ही 'निरुक्त' और व्याकरणों के माध्यम से किया जाता रहा है। उसी परिपाटी को आधार बनाकर भाषा वैज्ञानिक अध्ययम भारत में चलता रहा है, किन्तु पाश्चात्य पद्धति के अनुकरण पर भाषा-विज्ञान का नया स्वरूप उभरा है। इसीलिए अध्ययन के विषय में कोई भिन्नता न होते हुए भी शैली में पर्याप्त अन्तर आ गया है।
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