Anuvad chintan
Material type:
- H 418.02 SHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 418.02 SHA (Browse shelf(Opens below)) | Available | 50837 |
अनुवाद एक साहित्यिक विधा है, किन्तु वह मौलिक साहित्य नहीं है। वास्तव में वह एक 'सैकण्ड हैंड' साहित्य है । दूसरे शब्दों में, अनुवाद मूल लेखन पर आधारित 'भाषान्तर' की विधा है—एक भाषा की सामग्री को किसी दूसरी भाषा में अन्तरित करने का माध्यम है
अनुवाद के साथ अनुवादक का लगभग वही सम्बन्ध है, जो किसी लेख के साथ लेखक का होता है साधारणतः यह सम्बन्ध 'कर्ता' और 'कृति' का सम्बन्ध है कर्ता के रूप में अनुवादक का कर्तृत्व जितना ही रचनात्मक होगा, उसकी कृति अनुवाद भी उतनी ही सफल होगी। इतना होने पर भी उसकी 'कृति' कभी भी मूल रचना का स्थान नहीं ले सकती। या तो उसमें भाव अथवा भाषा के स्तर पर कहीं कोई कमी रह जायेगी, या वह मूल की भूमि से ऊपर उठकर सर्वथा एक मौलिक 'रचना' के स्तर पर जा पहुंचेगी। जॉर्ज चैपमैन तथा एलेक्जेंडर पोप द्वारा किये गये होमर के महाकाव्यों के अनुवादों को श्री अरविन्दो ने इसी श्रेणी में रखा है।
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