Image from Google Jackets

Shiksha uski samgri aur pratham siddhant/ translated by Charan Das Shastri and Yugal Kishor Sharma v.1983

By: Material type: TextTextPublication details: Chandigarh; Haryana Sahitya Akademi; 1983.Edition: 2ndDescription: 308pSubject(s): DDC classification:
  • H 370.1 PER 2nd ed.
Summary: राष्ट्रभाषा हिन्दी घोर प्रादेशिक भाषायों को विश्वविद्यालयों में सर्वो स्तर तक शिक्षा का माध्यम बनाने के प्रयत्नों को सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि इन भाषाओं में ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाओं के पर्याप्त ग्रन्थ उपलब्ध हों । इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक विशेष योजना परिचालित की गई है। इस योजना के अनुसार इन भाषाओं में मौलिक मानक ग्रंथों की रचना करवाई जा रही है तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं में उपलब्ध छात्रोपयोगी साहित्य के अधिकृत धनुबाद भी सुलभ किए जा रहे हैं। इस महत्त्वपूर्ण कार्य को कम-से-कम समय में सम्पन्न करने के लिए भारत सरकार की प्रेरणा मौर धार्थिक सहायता से सभी राज्यों में स्वायत्तशासी • संस्थाओं की स्थापना की गई है। इन संस्थाओं की स्थापना से भारतीय भाषाओ में पुस्तक निर्माण के कार्य को प्रोत्साहन मिलने लगा है और प्राणा की जाती है कि छात्रों को भारतीय भाषाओं में संबंधित विषयों की वे प्रामाणिक पुस्तकें, जो उन्हें अब तक सामान्यतः बाजार में उपलब्ध नहीं थी, यथाशीघ्र सुलभ होंगी । हरियाणा में पुस्तक निर्माण का यह कार्य हरियाणा साहित्य अकादमी के माध्यम से करवाया जा रहा है। यह हर्ष का विषय है कि प्रसिद्ध विद्वान और अध्यापक इस कार्य में अकादमी को सहयोग दे रहें हैं। प्रस्तुत पुस्तक सर टी० परसी नम कृत "ऐजुकेशन इंट्ज डाटा एण्ड फस्ट प्रिसिपल्स" का हिन्दी रूपान्तरण है। इस के अनुवादक सबंधी डा० चरण दास शास्त्री, प्रध्यक्ष हिन्दी विभाग, राजकीय कालिज, होशियारपुर तथा गुगल किशोर शर्मा हैं । पुस्तक में भारत सरकार द्वारा तैयार की गई शब्दावली का प्रयोग किया गया है, ताकि देश की सभी संस्थाओं में छात्रों की सुविधा के लिए एक ही पारिभाषिक शब्दावली के आधार पर शिक्षा का आयोजन किया जा सके । पुस्तक की लोकप्रियता को देखते हुए इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया है ।
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)

राष्ट्रभाषा हिन्दी घोर प्रादेशिक भाषायों को विश्वविद्यालयों में सर्वो स्तर तक शिक्षा का माध्यम बनाने के प्रयत्नों को सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि इन भाषाओं में ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाओं के पर्याप्त ग्रन्थ उपलब्ध हों ।

इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक विशेष योजना परिचालित की गई है। इस योजना के अनुसार इन भाषाओं में मौलिक मानक ग्रंथों की रचना करवाई जा रही है तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं में उपलब्ध छात्रोपयोगी साहित्य के अधिकृत धनुबाद भी सुलभ किए जा रहे हैं। इस महत्त्वपूर्ण कार्य को कम-से-कम समय में सम्पन्न करने के लिए भारत सरकार की प्रेरणा मौर धार्थिक सहायता से सभी राज्यों में स्वायत्तशासी • संस्थाओं की स्थापना की गई है। इन संस्थाओं की स्थापना से भारतीय भाषाओ में पुस्तक निर्माण के कार्य को प्रोत्साहन मिलने लगा है और प्राणा की जाती है कि छात्रों को भारतीय भाषाओं में संबंधित विषयों की वे प्रामाणिक पुस्तकें, जो उन्हें अब तक सामान्यतः बाजार में उपलब्ध नहीं थी, यथाशीघ्र सुलभ होंगी ।

हरियाणा में पुस्तक निर्माण का यह कार्य हरियाणा साहित्य अकादमी के माध्यम से करवाया जा रहा है। यह हर्ष का विषय है कि प्रसिद्ध विद्वान और अध्यापक इस कार्य में अकादमी को सहयोग दे रहें हैं।

प्रस्तुत पुस्तक सर टी० परसी नम कृत "ऐजुकेशन इंट्ज डाटा एण्ड फस्ट प्रिसिपल्स" का हिन्दी रूपान्तरण है। इस के अनुवादक सबंधी डा० चरण दास शास्त्री, प्रध्यक्ष हिन्दी विभाग, राजकीय कालिज, होशियारपुर तथा गुगल किशोर शर्मा हैं । पुस्तक में भारत सरकार द्वारा तैयार की गई शब्दावली का प्रयोग किया गया है, ताकि देश की सभी संस्थाओं में छात्रों की सुविधा के लिए एक ही पारिभाषिक शब्दावली के आधार पर शिक्षा का आयोजन किया जा सके । पुस्तक की लोकप्रियता को देखते हुए इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया है ।

There are no comments on this title.

to post a comment.

Powered by Koha