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Bhasha vigyan ka sankshipt itihaas

By: Material type: TextTextPublication details: Allahabad; Bharti Bhandar; 1983Description: 144 pDDC classification:
  • H 410 TIW
Summary: 'भाषाविज्ञान का संक्षिप्त इतिहास' अपने ढंग की एक अनूठी कृति है । इसके आरंभ में संस्कृत व्याकरण का इतिहास एवं संक्षिप्त परिचय दिया गया है; जिससे यूरोपीय विद्वानों ने प्रेरणा प्राप्त कर, सम्प्रति भाषा विज्ञान को अभिनव रूप प्रदान किया है। अद्यतन अमे रिका, लंदन, पेरिस, प्राहा तथा मास्को में भाषा विज्ञान की जो प्रगति हुई है; उसका संक्षिप्त इतिहास इसमें दिया गया है। साथ ही भारत की विभिन्न भाषाओं — बँगला, गुजराती, मराठी, उड़िया, असमिया, पंजाबी, राजस्थानी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, सिघली, बर्मी, आस्ट्रिक आदि में अभिनव भाषाविज्ञान की प्रगति को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करनेवाली यह कृति भाषाविज्ञान के छात्रों, शोधकर्त्ताओं तथा अध्यापकों के लिए निःसंदेह ज्ञानवर्द्धक और सभी पुस्तकालयों के लिए संग्रहणीय सिद्ध होगी ।
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'भाषाविज्ञान का संक्षिप्त इतिहास' अपने ढंग की एक अनूठी कृति है । इसके आरंभ में संस्कृत व्याकरण का इतिहास एवं संक्षिप्त परिचय दिया गया है; जिससे यूरोपीय विद्वानों ने प्रेरणा प्राप्त कर, सम्प्रति भाषा विज्ञान को अभिनव रूप प्रदान किया है। अद्यतन अमे रिका, लंदन, पेरिस, प्राहा तथा मास्को में भाषा विज्ञान की जो प्रगति हुई है; उसका संक्षिप्त इतिहास इसमें दिया गया है। साथ ही भारत की विभिन्न भाषाओं — बँगला, गुजराती, मराठी, उड़िया, असमिया, पंजाबी, राजस्थानी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, सिघली, बर्मी, आस्ट्रिक आदि में अभिनव भाषाविज्ञान की प्रगति को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करनेवाली यह कृति भाषाविज्ञान के छात्रों, शोधकर्त्ताओं तथा अध्यापकों के लिए निःसंदेह ज्ञानवर्द्धक और सभी पुस्तकालयों के लिए संग्रहणीय सिद्ध होगी ।

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