Etihasik bhasha vigyan: siddhant aur vyavhar
Material type:
- H 491.43 JAI
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 491.43 JAI (Browse shelf(Opens below)) | Available | 45843 |
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भाषाविज्ञान के अन्तर्गत मनुष्य की अर्थपूर्ण व्यक्त ध्वनियों और उनके प्रयोगों का अध्ययन किया जाता है। दूसरे रूप में यह मानवीय बौद्धिक चेतना के विश्लेषण, तारतम्य तथा कालिक विकासक्रम का सूक्ष्म अनुशीलन है, जिसका कुछ परिचय सामाजिक इतिहास, भूगोल, नृतत्व विज्ञान से भी प्राप्त होता है। भाषा विज्ञान के उच्च स्तरीय पठन-पाठन को वर्णनात्मक भाषाविज्ञान, तुलनात्मक भाषा विज्ञान एवं ऐतिहासिक भाषाविज्ञान की तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है । इनमें से वर्णनात्मक भाषाविज्ञान तथा तुलनात्मक भाषाविज्ञान को तीसरी श्रेणी, ऐतिहासिक भाषाविज्ञान का आधार या अनुपूरक समझा जाता है। काल के संदर्भ में एक के बाद दूसरी भाषाओं की ध्वनि, रूप, वाक्य रचना, अर्थ और शब्दसमूह में क्या परिवर्तन होते आये हैं, उनके कारण क्या रहे हैं तथा उन परिवर्तनों के बाह्य और आन्तरिक प्रभाव कहाँ तक सक्रिय रहे हैं, इस सबका अध्ययन करते हुए ऐतिहासिक भाषाविज्ञान परिवर्तन के सिद्धान्त, नियम और प्रगति का निर्धारण करता है।
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