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Hindi navjagran: itihas, galp aur stree-prashn

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Vani 2024Description: 290pISBN:
  • 9789357751810
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.43108 SRI
Summary: आज के सन्दर्भ में नवजागरण के स्त्री प्रश्नों पर नये सिरे से विचार करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सांस्कृतिक इतिहास की दरारों को भरने के लिए, उसकी असंगतियों को दूर करने के लिए स्त्री-लेखन पर पुनर्विचार और शोध करने की ज़रूरत है। इसे हम स्त्रीवादी इतिहास-लेखन कह सकते हैं जो इतिहास का मूल्यांकन जेंडर के नज़रिये से करने का पक्षधर है। दरअसल स्त्रीवादी इतिहास-लेखन समूचे इतिहास को समग्रता में देखने और विश्लेषित करने का प्रयास करता है, जिसमें मुख्यधारा के इतिहास से छूटे हुए, अनजाने में, या जानबूझकर उपेक्षित कर दिये गये वंचितों का इतिहास और उनका लेखन शामिल किया जाता है। यह स्त्री को किसी विशेष सन्दर्भ या किसी सीमा में न बाँधकर, एक रचनाकार और उसके दाय के रूप में देखने का प्रयास है। यह स्त्रियों की रचनाशीलता के सन्दर्भ में लैंगिक (जेंडर) - विभेद को देखने और साथ ही सामाजिक संरचनागत अपेक्षित बदलाव जो घटने चाहिए, उनका दिशा निर्देश करने का भी उद्यम है। स्त्री साहित्येतिहास को उपेक्षित करके कभी भी इतिहास-लेखन को समग्रता में नहीं जाना जा सकता। कुछेक इतिहासकारों को छोड़ दें तो अधिकांश इतिहासकारों ने स्त्रियों के सांस्कृतिक-साहित्यिक दाय को या तो उपेक्षित किया या फुटकर खाते में डाल दिया। आज ज़रूरत इस बात की है कि सामाजिक अवधारणाओं, विचारधाराओं और औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था, समाज-सुधार कार्यक्रमों के पारस्परिक सम्बन्ध को विश्लेषित-व्याख्यायित करने के लिए स्त्री-रचनाशीलता की अब तक उपेक्षित, अवसन्न अवस्था को प्राप्त कड़ियों को ढूँढ़ा और जोड़ा जाये, जिससे साहित्येतिहास अपनी समग्रता में सामने आ सके। स्त्रियाँ लिखकर अपने-आपको बतौर अभिकर्ता (एजेंसी) कैसे स्थापित करती हैं, पूरी सामाजिक संरचना को कैसे चुनौती देती हैं और इस तरह साहित्य और विशिष्ट ज्ञानधारा में दखलन्दाज़ी करती हैं, यह जानने के लिए विभिन्न जीवन्त संरचनाओं के प्रतीकों से स्त्रियों को जोड़कर देखने की जरूरत पड़ती है। प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी नवजागरण : इतिहास, गल्प और स्त्री-प्रश्न-नवजागरण के दौर में स्त्री को गम्भीर दृष्टि से देखने और इतिहास का पुनर्लेखन करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
List(s) this item appears in: New Arrivals May, 2025
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Books Books Gandhi Smriti Library H 891.43108 SRI (Browse shelf(Opens below)) Available 180744
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आज के सन्दर्भ में नवजागरण के स्त्री प्रश्नों पर नये सिरे से विचार करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सांस्कृतिक इतिहास की दरारों को भरने के लिए, उसकी असंगतियों को दूर करने के लिए स्त्री-लेखन पर पुनर्विचार और शोध करने की ज़रूरत है। इसे हम स्त्रीवादी इतिहास-लेखन कह सकते हैं जो इतिहास का मूल्यांकन जेंडर के नज़रिये से करने का पक्षधर है। दरअसल स्त्रीवादी इतिहास-लेखन समूचे इतिहास को समग्रता में देखने और विश्लेषित करने का प्रयास करता है, जिसमें मुख्यधारा के इतिहास से छूटे हुए, अनजाने में, या जानबूझकर उपेक्षित कर दिये गये वंचितों का इतिहास और उनका लेखन शामिल किया जाता है। यह स्त्री को किसी विशेष सन्दर्भ या किसी सीमा में न बाँधकर, एक रचनाकार और उसके दाय के रूप में देखने का प्रयास है। यह स्त्रियों की रचनाशीलता के सन्दर्भ में लैंगिक (जेंडर) - विभेद को देखने और साथ ही सामाजिक संरचनागत अपेक्षित बदलाव जो घटने चाहिए, उनका दिशा निर्देश करने का भी उद्यम है। स्त्री साहित्येतिहास को उपेक्षित करके कभी भी इतिहास-लेखन को समग्रता में नहीं जाना जा सकता। कुछेक इतिहासकारों को छोड़ दें तो अधिकांश इतिहासकारों ने स्त्रियों के सांस्कृतिक-साहित्यिक दाय को या तो उपेक्षित किया या फुटकर खाते में डाल दिया। आज ज़रूरत इस बात की है कि सामाजिक अवधारणाओं, विचारधाराओं और औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था, समाज-सुधार कार्यक्रमों के पारस्परिक सम्बन्ध को विश्लेषित-व्याख्यायित करने के लिए स्त्री-रचनाशीलता की अब तक उपेक्षित, अवसन्न अवस्था को प्राप्त कड़ियों को ढूँढ़ा और जोड़ा जाये, जिससे साहित्येतिहास अपनी समग्रता में सामने आ सके। स्त्रियाँ लिखकर अपने-आपको बतौर अभिकर्ता (एजेंसी) कैसे स्थापित करती हैं, पूरी सामाजिक संरचना को कैसे चुनौती देती हैं और इस तरह साहित्य और विशिष्ट ज्ञानधारा में दखलन्दाज़ी करती हैं, यह जानने के लिए विभिन्न जीवन्त संरचनाओं के प्रतीकों से स्त्रियों को जोड़कर देखने की जरूरत पड़ती है। प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी नवजागरण : इतिहास, गल्प और स्त्री-प्रश्न-नवजागरण के दौर में स्त्री को गम्भीर दृष्टि से देखने और इतिहास का पुनर्लेखन करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

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