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Shabd-sanskriti

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Katuliya Books 2024Description: 208pISBN:
  • 9789360630379
Subject(s): DDC classification:
  • H 491.2 VYA
Summary: शब्द की सत्ता में पूरे विश्व की सत्ता है। शब्द में सारा विश्व समाया है। शब्द में सारा विश्व बोलता है। शब्द में सारे विश्व का ज्ञान बोलता है। शब्द के विना विश्व, विश्व नहीं रह जाता। शब्द का मूल वाक् है। जब यह सृष्टि परमसत्ता का वाक् है इसकी सत्ता का प्रकटीकरण है तो शब्द में उस प्रकटीकरण के गूढ़ आशय छिपे हैं। अव्यक्त का व्यक्त होना शब्द है। शब्द का आश्रय आकाश है या नहीं, पता नहीं। पर व्यक्ति, शब्द का आश्रय प्रत्यक्ष है। व्यक्ति में शब्द, शब्द से संस्कृति। पहले क्षेत्र-प्रदेश की, फिर पूरी दुनिया की। विश्व-संस्कृति मानव संस्कृति है। देश-विदेश के रंग अलग हैं, पर भीतरी रचना एक और समान है। विश्वमानव की सामूहिक चेतना, मूल-प्रवृत्तियाँ, जीवन-मूल्य, चिन्तन-परंपरा, कला-चेतना मिलकर विश्व संस्कृति का सृजन करते हैं।
List(s) this item appears in: New Arrivals March, 2025
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शब्द की सत्ता में पूरे विश्व की सत्ता है। शब्द में सारा विश्व समाया है। शब्द में सारा विश्व बोलता है। शब्द में सारे विश्व का ज्ञान बोलता है। शब्द के विना विश्व, विश्व नहीं रह जाता। शब्द का मूल वाक् है। जब यह सृष्टि परमसत्ता का वाक् है इसकी सत्ता का प्रकटीकरण है तो शब्द में उस प्रकटीकरण के गूढ़ आशय छिपे हैं। अव्यक्त का व्यक्त होना शब्द है। शब्द का आश्रय आकाश है या नहीं, पता नहीं। पर व्यक्ति, शब्द का आश्रय प्रत्यक्ष है। व्यक्ति में शब्द, शब्द से संस्कृति। पहले क्षेत्र-प्रदेश की, फिर पूरी दुनिया की। विश्व-संस्कृति मानव संस्कृति है। देश-विदेश के रंग अलग हैं, पर भीतरी रचना एक और समान है। विश्वमानव की सामूहिक चेतना, मूल-प्रवृत्तियाँ, जीवन-मूल्य, चिन्तन-परंपरा, कला-चेतना मिलकर विश्व संस्कृति का सृजन करते हैं।

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