Yogi Adityanath: drishti-samwad
Material type:
- 9789355180148
- UP 320.542 YOG
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Book is in 5 volume
योगी आदित्यनाथ दृष्टि-संवाद (5 खण्डों में) अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता उच्चतर जीवन मूल्य है। प्रकृति प्रतिपल अभिव्यक्त हो रही है। प्रतिपल नवसृजन। नव अंकुर। पृथ्वी आकाश भी प्रतिपल नये हैं। अस्तित्व विराट है। हम विराट अस्तित्व के अंग हैं। उपनिषदों में इसी सम्पूर्णता को ब्रह्म कहा गया है। इसी पूर्ण से पूर्ण पैदा हुआ है। पूर्ण में पूर्ण घटाओ तो पूर्ण ही बचता है। अनुभूति की अभिव्यक्ति का उपकरण है वाणी। ऋग्वेद में वाणी देवी है। वे राष्ट्र धारण करती हैं और सभी लोक भी। ऐसी आत्मानुभूति योग और ज्ञान से ही उपलब्ध होती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ में वाणी की सिद्धि है। उनका ध्येय भारत का सम्पूर्ण वैभव है। वे उत्तर प्रदेश की जनता के स्वप्नों के महानायक हैं। उनका सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए अर्पित है। सो उनके भाषणों की अद्वितीय प्रसिद्धि है। वे कर्मयोगी हैं और विरल संन्यासी हैं। व्यवहार में सरल हैं। विचार प्रवाह में तरल हैं। उनकी अभिव्यक्ति में सूक्त का सौन्दर्य है। सु-उक्त का अर्थ सुन्दर कथन होता है। संसद और विधान मण्डल राष्ट्र के भाग्य विधाता हैं। इनके सभा मण्डप नमनीय हैं। सभा मण्डपों में राष्ट्र राज्य व लोक मंगल पर चर्चा होती है। योगी जी लम्बे समय तक संसद सदस्य रहे हैं। उनके संसदीय भाषण उत्कृष्ट मूल्यवान निधि हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमन्त्री के रूप में उन्होंने सारवान भाषण दिये हैं। मैंने अध्यक्ष के आसन पर बैठकर उनके पूरे भाषण सुने हैं। उनके वक्तव्य घुमावदार नहीं होते। वे सांस्कृतिक रस से पूर्ण होते हैं। वे श्रोता के हृदय में सीधे प्रवेश करते हैं। उनके भाव मधुमयता का प्रसाद है। योगी जी को सुनने का अपना आनन्द है और उनके भाषण पढ़ने का भी।
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