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Ganda (anusuchit jaati ya janjati)

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Little Bird 2024Description: 144pISBN:
  • 9789363064799
Subject(s): DDC classification:
  • H 305.56 TRI
Summary: ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये’ गांडा समाज पर केन्द्रित पिछले सात सालों के सतत परिश्रम तथा नानाविध बाधाओं को पार कर पूर्ण हुए शोध-प्रबंध की यह प्रथम प्रकाशित पुस्तक खुलासा करती है उस महान गौरवशाली, योद्धा, गायन वादन सहित सर्वकला संपन्न, परंपरागत चिकित्सक गांडा समाज का जिसके मानवता के ऊपर अनेकों अविस्मरणीय ऐतिहासिक एहसान हैं, फिर भी जो संभवतः त्राुटिपूर्ण सर्वे व अनुचित वर्गीकरण की दुरभिसंधि के कारण समाज के अंतिम पायदान पर जबरिया धकेल दिये गये और जिन्होंने बेवजह पीढ़ी दर पीढ़ी सामाजिक पक्षपात, उपेक्षा एवं घोर अपमान को भोगा है। भावांजलि के साथ बहुत गहराई से स्वीकार करता हूँ कि इसी समुदाय के मेरे भ्रातातुल्य मित्रा व प्रथम शोध निदेशक रहे स्व. डाॅ. विजय बघेल को, जिन्होंने शोध हेतु इस चुनौती पूर्ण विषय के मेरे चयन को सही ठहराया तथा जब तक जीवित रहे सदैव मेरा हौसला बढ़ाया।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 305.56 TRI (Browse shelf(Opens below)) Available 180110
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‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये’ गांडा समाज पर केन्द्रित पिछले सात सालों के सतत परिश्रम तथा नानाविध बाधाओं को पार कर पूर्ण हुए शोध-प्रबंध की यह प्रथम प्रकाशित पुस्तक खुलासा करती है उस महान गौरवशाली, योद्धा, गायन वादन सहित सर्वकला संपन्न, परंपरागत चिकित्सक गांडा समाज का जिसके मानवता के ऊपर अनेकों अविस्मरणीय ऐतिहासिक एहसान हैं, फिर भी जो संभवतः त्राुटिपूर्ण सर्वे व अनुचित वर्गीकरण की दुरभिसंधि के कारण समाज के अंतिम पायदान पर जबरिया धकेल दिये गये और जिन्होंने बेवजह पीढ़ी दर पीढ़ी सामाजिक पक्षपात, उपेक्षा एवं घोर अपमान को भोगा है। भावांजलि के साथ बहुत गहराई से स्वीकार करता हूँ कि इसी समुदाय के मेरे भ्रातातुल्य मित्रा व प्रथम शोध निदेशक रहे स्व. डाॅ. विजय बघेल को, जिन्होंने शोध हेतु इस चुनौती पूर्ण विषय के मेरे चयन को सही ठहराया तथा जब तक जीवित रहे सदैव मेरा हौसला बढ़ाया।

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