Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Chandrasekhar Azad

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Pabhakar 2023Description: 119pISBN:
  • 9789356822009
Subject(s): DDC classification:
  • H 954.0317092 PAN
Summary: आजाद के दुःखों का कारण यही था कि भारत परतंत्र था। अँग्रेज़ी शासन के अत्याचारों की मार झेल रहा था। गुलाम भारत में 'आजाद खुश नहीं थे। वह चाहते थे कि भारत आज़ाद हो जाए और भारत की जनता गुलामी की जंजीरों से मुक्त होकर आज़ादी का लुत्फ उठाए। अँग्रेज़ी सरकार ने भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव जैसे राष्ट्रभक्तों को मृत्युदंड सुना दिया था। आज़ाद के बहुत से साथियों को काले पानी का दंड मिल गया था। बहुत-से साथी इस आज़ादी की बलिवेदी पर चढ़ गए थे। आज़ादी मिलेगी या नहीं मिलेगी? यह प्रश्न अनेक लोगों के मन में था। आज़ाद क्रांतिकारी साथियों का साथ छूट जाने पर काफी उदास और दुःखी हो गए थे। जो साथ में हँसते-बोलते थे, वे गुजर गए थे और जो जीवित थे, वे जेल में बंद थे और घोर यातनाएँ झेल रहे थे। आज़ाद को इन बातों का बड़ा ही दुःख था कि उनके साथी घोर यातनाओं की मार झेल रहे थे। - इसी पुस्तक से
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)

आजाद के दुःखों का कारण यही था कि भारत परतंत्र था। अँग्रेज़ी शासन के अत्याचारों की मार झेल रहा था। गुलाम भारत में 'आजाद खुश नहीं थे। वह चाहते थे कि भारत आज़ाद हो जाए और भारत की जनता गुलामी की जंजीरों से मुक्त होकर आज़ादी का लुत्फ उठाए। अँग्रेज़ी सरकार ने भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव जैसे राष्ट्रभक्तों को मृत्युदंड सुना दिया था। आज़ाद के बहुत से साथियों को काले पानी का दंड मिल गया था। बहुत-से साथी इस आज़ादी की बलिवेदी पर चढ़ गए थे। आज़ादी मिलेगी या नहीं मिलेगी? यह प्रश्न अनेक लोगों के मन में था। आज़ाद क्रांतिकारी साथियों का साथ छूट जाने पर काफी उदास और दुःखी हो गए थे। जो साथ में हँसते-बोलते थे, वे गुजर गए थे और जो जीवित थे, वे जेल में बंद थे और घोर यातनाएँ झेल रहे थे। आज़ाद को इन बातों का बड़ा ही दुःख था कि उनके साथी घोर यातनाओं की मार झेल रहे थे। - इसी पुस्तक से

There are no comments on this title.

to post a comment.

Powered by Koha