Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Ramchandra Shukla : kal, aaj aur kal

Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: New Delhi Vani 2023Description: 358ISBN:
  • 9789357751711
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.4308 RAM
Summary: आचार्य शुक्ल की स्पष्ट मान्यता है कि भाव या मनोविकार अपने आप में शुभ या अशुभ नहीं होते हैं। इन भावों के नियोजन के आधार पर इनके परिणाम तय होते हैं। उनके अनुसार भावक्षेत्र अत्यन्त पवित्र क्षेत्र है। अपने निहितार्थों की पूर्ति के लिए मनुष्य जाति इसका उपयोग हमेशा से करती आयी है। ‘लोभ' सीमित रूप में मानव समाज में कटुता पैदा करने वाली वृत्ति है, वही उदात्त रूप में समाज कल्याण का औज़ार बन जाती है। ‘देश-प्रेम' को वे 'लोभ' का ही उदात्त रूप मानते हैं। - इसी पुस्तक से
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Gandhi Smriti Library H 891.4308 RAM (Browse shelf(Opens below)) Available 180170
Total holds: 0

आचार्य शुक्ल की स्पष्ट मान्यता है कि भाव या मनोविकार अपने आप में शुभ या अशुभ नहीं होते हैं। इन भावों के नियोजन के आधार पर इनके परिणाम तय होते हैं। उनके अनुसार भावक्षेत्र अत्यन्त पवित्र क्षेत्र है। अपने निहितार्थों की पूर्ति के लिए मनुष्य जाति इसका उपयोग हमेशा से करती आयी है। ‘लोभ' सीमित रूप में मानव समाज में कटुता पैदा करने वाली वृत्ति है, वही उदात्त रूप में समाज कल्याण का औज़ार बन जाती है। ‘देश-प्रेम' को वे 'लोभ' का ही उदात्त रूप मानते हैं। - इसी पुस्तक से

There are no comments on this title.

to post a comment.

Powered by Koha