Lal teen ki chhat
Material type:
- 9789360864507
- H VER N
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H VER N (Browse shelf(Opens below)) | Available | 180338 |
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निर्मल वर्मा हिन्दी के उन गिने-चुने साहित्यकारों में से हैं जिन्हें अपने जीवनकाल में ही अपनी कृतियों को क्लासिक बनते देखने का दुर्लभ सौभाग्य प्राप्त हुआ है। प्रायः सभी आलोचक इस बात पर सहमत हैं कि हिन्दी में कहानी कहने की कला को एक निर्णायक मोड़ देने का श्रेय उन्हें है। उन्होंने भाषा को भी बदला और उसके प्रयोग की विधि को भी। उनके गद्य को पढ़ते हुए अपनी ही भाषा की सम्प्रेषणीयता हमें चकित कर देती है। ‘लाल टीन की छत’ उनका बेहद चर्चित उपन्यास है। यह उपन्यास उन्होंने 1970 में लिखना आरम्भ किया और अप्रैल 1974 में पूर्ण किया। दिल्ली, लन्दन और शिमला में लिखे गये इस उपन्यास में निर्मल वर्मा की रचनात्मकता अपने पूर्ण उत्कर्ष पर दिखाई देती है। ‘लाल टीन की छत’ एक ऐसी अकेली लड़की की गाथा है जो अपने छोटे भाई के साथ एक पहाड़ी शहर में रहती है। सर्दी की लम्बी, सूनी छुट्टियों में वह इधर-उधर भटकती रहती है। उसने अपने इर्द-गिर्द एक मायावी जाल-सा बुन लिया है जिसमें वह अधिकांश समय खुद अपनी सच्ची-झूठी स्मृतियों से खेलती रहती है। वह एक ऐसी सीमा पर खड़ी है, जिसके पीछे बचपन छूट चुका है और आनेवाला समय अनेक संकेतों और सन्देशों से भरा है। एक छोर पर अजीब-सा आतंक है, दूसरे छोर पर एक असहनीय सम्मोहन, और इन दोनों के बीच जो अँधेरी भूलभुलैया फैली है, यह उपन्यास उसके कोनों को छूता, पकड़ता, छोड़ता हुआ चलता है।
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