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Mahatma Jotiba Phule rachanawali

Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Delhi Radhakrishan 2021Description: 383p.; 310pISBN:
  • 9788171197316
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.43 MAH
Summary: यह किताब जोतिबा फुले (जोतीराव गोविंदराव फुले : 1827-1890) की सम्पूर्ण रचनाओं का संग्रह है ! सन 1855 से सन 1890 तक उन्होंने जितने ग्रंथो की रचना की, सभी को इसमें संगृहीत किया गया है ! उनकी पहली किताब 'तृतीय रत्न' (नाटक) सन 1855 में और अंतिम 'सार्वजानिक सत्यधर्म' सन 1891 में उनके परिनिर्वाण के बाद प्रकाशित हुई थी ! जोतीराव फुले की कर्मभूमि महाराष्ट्र रही है ! उन्होंने अपनी साडी रचनाएँ जनसाधारण की बोली मराठी में लिखीं ! उनका कार्य और रचनाएँ अपने समय में भी विवादस्पद रहीं और आज भी हैं ! लेकिन उनका लेखन हर पीढ़ी में सामाजिक क्रांति की चेतना जगाता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं ! उनकी यह रचनावली उनके कार्य और चिंतन का ऐतिहासिक दस्तावेज है !
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Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Gandhi Smriti Library H 891.43 MAH V.1 (Browse shelf(Opens below)) Available 169854
Books Books Gandhi Smriti Library H 891.43 MAH V.2 (Browse shelf(Opens below)) Available 169855
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यह किताब जोतिबा फुले (जोतीराव गोविंदराव फुले : 1827-1890) की सम्पूर्ण रचनाओं का संग्रह है ! सन 1855 से सन 1890 तक उन्होंने जितने ग्रंथो की रचना की, सभी को इसमें संगृहीत किया गया है ! उनकी पहली किताब 'तृतीय रत्न' (नाटक) सन 1855 में और अंतिम 'सार्वजानिक सत्यधर्म' सन 1891 में उनके परिनिर्वाण के बाद प्रकाशित हुई थी ! जोतीराव फुले की कर्मभूमि महाराष्ट्र रही है ! उन्होंने अपनी साडी रचनाएँ जनसाधारण की बोली मराठी में लिखीं ! उनका कार्य और रचनाएँ अपने समय में भी विवादस्पद रहीं और आज भी हैं ! लेकिन उनका लेखन हर पीढ़ी में सामाजिक क्रांति की चेतना जगाता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं ! उनकी यह रचनावली उनके कार्य और चिंतन का ऐतिहासिक दस्तावेज है !

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