Lekin
Material type:
- 9788183617987
- JP GUL
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | JP GUL (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169737 | ||
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Gandhi Smriti Library | JP GUL (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169622 |
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साहित्य में 'मंजरनामा' एक मुकम्मिल फार्म है | यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रूकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें | लेकिन मंजरनामा का अंदाजे-बयाँ अमूमन मूल रचना से अलग हो जाता है या यूं कहें कि वह मूल रचना का इंटरप्रेटेशन हो जाता है | मंजरनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फार्म से रू-ब-रू हो सकें और दूसरा यह कि टी.वी. और सिनेमा में दिलचस्पी रखनेवाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंजरनामे की शक्ल दी जाती है | टी.वी. की आमद से मंजरनामों की जरुरत में बहुत इजाफा हो गया है | 'लेकिन'....ठोस यकीन, पार्थिव सबूतों और तर्क के आधुनिक आत्मविश्वास पर प्रश्नचिन्ह की तरह खड़ा एक 'लेकिन', जिसे गुलजार ने इतनी खूबसूरती से तराशा है कि वैसी किसी बहस में पड़ने की इच्छा ही शेष नहीं रह जाती जो आत्मा और भूत-प्रेत को लेकर अक्सर होती रहती है | इस फिल्म और इसकी कथा की लोमहर्षक कलात्मकता हमें देर तक वापस अपनी वास्तविक और बदरंग दुनिया में नहीं आने देती जिसे अपने उददंड तर्कों से हम और बदरंग कर दिया करते हैं | यह पुस्तक इसी फिल्म का मंजरनामा है...पठनीय भी दर्शनीय भी |
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