Amrit aur vish
Material type:
- 9788180311093
- SA NAG A
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Gandhi Smriti Library | SA NAG A (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169309 |
Browsing Gandhi Smriti Library shelves Close shelf browser (Hides shelf browser)
![]() |
No cover image available No cover image available |
![]() |
![]() |
![]() |
No cover image available No cover image available |
![]() |
||
SA MUK M Daivathinte vikruthikal | SA MUK S Birasan | SA MUK S Manabjamin | SA NAG A Amrit aur vish | SA NAG K Cuckold | SA NAN Ik myan do talwaran | SA NAR Ba molahja hoshiar |
शिकरमों और ऊंट-गाड़ियों के एक सदी पुराने ज़माने से लेकर आज तक के तेजी से बदलते हुए रोचक मार्मिक और सहज जन-जीवन के अन्तरंग जिवंत चित्रों का वर्णन पढ़ते-पढ़ते आप यह भूल जायेंगे कि उपन्यास पढ़ रहे हैं, बल्कि यह अनुभव करेंगे कि आप स्वयं भी इस वतावारण के ही एक अभिन्न अंग हैं | इसकी रचना-शैली का अनूठापन औसत और प्रबुद्ध दोनों प्रकार के पाठकों को अपने-अपने ढंग से किन्तु समान रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है | लेखक की सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्रीय और दार्शनिक दृष्टि से जिस तन्मयता और गहराई से व्यक्ति और समाज का मनोरूप दर्शन यहाँ प्रस्तुत किया है, वह पाठकों का आमतौर से अन्यत्र दुर्लभ है | पुस्तक एक बार हाथ में उठा लेने पर पूरा पढ़े बिना आप रह नहीं सकते | यही नहीं, आप इसे बार-बार पढेंगे और हर बार एक नई दृष्टि और नये रस-बोध की ताजगी पाएंगे |
There are no comments on this title.