Kitni Navon Mein Kitani Baar
Material type:
- 9789355189301
- H 891.431 AGY
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 891.431 AGY (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169201 |
कितनी नावों में कितनी बार - ज्ञानपीठ पुरस्कार (1978) से सम्मानित कितनी नावों में कितनी बार 'अज्ञेय' की 1962 से 1966 के बीच रचित कविताओं का संकलन है। यों तो 'अज्ञेय' की कविताओं के किसी भी संग्रह के लिए कहा जा सकता है कि वह उनकी जीवन-दृष्टि का परिचायक है, किन्तु प्रस्तुत संग्रह इस रूप में विशिष्ट है कि अज्ञेय की सतत सत्य-सन्धानी दृष्टि की अटूट, खरी अनुभूति की टंकार इसमें मुख्य रूप से गूँजती है। कितनी नावों में कितनी बार में कवि ने एक बार फिर अपनी अखण्ड मानव- आस्था को भारतीयता के नाम से प्रचलित अवाक् रहस्यवादिता से वैसे ही दूर रखा है जैसे प्रगल्भ आधुनिक अनास्था के साँचे से उसे हमेशा दूर रखता रहा है। मनुष्य की गति और उसकी नियति की ऐसी पकड़ समकालीन कविता में अन्यत्र दुर्लभ है । पाठकों को समर्पित है इस कृति का यह नया संस्करण।
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