Ari o karuna prabhamaya
Material type:
- 9788126340200
- H 891.431 AGY
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Gandhi Smriti Library | H 891.431 AGY (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169202 |
Browsing Gandhi Smriti Library shelves Close shelf browser (Hides shelf browser)
No cover image available No cover image available | No cover image available No cover image available |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
||
H 891.431 AGY Kitni Novon Men Kitni Baar | H 891.431 AGY Chuni hui kavitayen | H 891.431 AGY Chuni Hui Kavitayen | H 891.431 AGY Ari o karuna prabhamaya | H 891.431 AGY Kitni Navon Mein Kitani Baar | H 891.431 AGY Angan Ke Par Dwar | H 891.431 AGY Taar saptak |
अरी ओ करुणा प्रभामय - महान् साहित्य की परम्परा में 'अज्ञेय' की कृतियाँ भीतर के अशान्त सागर को मथकर अन्तर्जगत् की घटना के प्रत्यक्षीकरण द्वारा जीवन, मरण, दुःख, अस्मिता, समाज, आचार, कला, सत्य आदि के अर्थ का साक्षात्कार कराती हैं। 'अरी ओ करुणा प्रभामय' की कविताएँ भी एक अत्यन्त सूक्ष्म संवेदनशील मानववाद की कविताएँ हैं। ये कविताएँ साक्षी हैं कि 'अज्ञेय' की सूक्ष्म सौन्दर्य-दृष्टि जहाँ जापानी सौन्दर्यबोध से संस्कारित हुई है, वहीं उनकी मानवीय करुणा भी जापानी बौद्ध दर्शन से प्रभावित है। लेकिन यह प्रभाव उस मूल सत्ता का केवल ऊपरी आवेष्टन है, जिसकी ज्वलन्त प्राणवत्ता पहले से ही असन्दिग्ध तो है ही, स्वतःप्रमाण भी है। प्रस्तुत है 'अज्ञेय' के इस ऐतिहासिक महत्त्व के कविता-संग्रह का नया संस्करण।
There are no comments on this title.