Vikalang Shraddha Ka Daur
Material type:
- 9788126703418
- SA 891.4304 PAR
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | SA 891.4304 PAR (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169266 |
श्रद्धा ग्रहण करने की भी एक विधि होती है! मुझसे सहज ढंग से अभी श्रद्धा ग्रहण नहीं होती! अटपटा जाता हूँ! अभी 'पार्ट टाइम' श्रधेय ही हूँ! कल दो आदमी आये! वे बात करके जब उठे तब एक ने मेरे चरण छूने को हाथ बढाया! हम दोनों ही नौसिखुए! उसे चरण चूने का अभ्यास नहीं था, मुझे छुआने का! जैसा भी बना उसने चरण छु लिए! पर दूसरा आदमी दुविधा में था! वह तय नहीं कर प् रहा था कि मेरे चरण छूए य नहीं! मैं भिखारी की तरह उसे देख रहा था! वह थोडा-सा झुका! मेरी आशा उठी! पर वह फिर सीधा हो गया! मैं बुझ गया! उसने फिर जी कदा करके कोशिश की! थोडा झुका! मेरे पाँवो में फडकन उठी! फिर वह असफल रहा! वह नमस्ते करके ही चला गया! उसने अपने साथी से कहा होगा- तुम भी यार, कैसे टूच्चो के चरण छूते हो!
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