Shiksha me navchintan / edited by Rampal Singh v.1983
Material type:
- H 370.1 SHI
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 370.1 SHI (Browse shelf(Opens below)) | Available | 44413 |
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शिक्षा-जगत में हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षा सम्बन्धी नवीनतम विधाओं पर कुछ नवीन पढ़ने का जो अभाव लम्बे समय से चला जा रहा था, हिन्दी भाषा में फिलहाल ही में हुए कुछ प्रकाशनों से ऐसा लगता है मानो शीघ्र ही इस अभाव की पूर्ति हो जायेगी । इस अभाव को दूर करने के लिए कुछ लेखकों ने सराहनीय कार्य किया है। इसी दिशा में डॉ० रामपालसिंह द्वारा सम्पादित पुस्तक 'शिक्षा में नव चिन्तन' की पाण्डुलिपि का अवलोकन करने का अवसर प्राप्त हुआ। पुस्तक संरचना को देखने से स्पष्ट ही यह आभास हो जाता है कि यह पुस्तक शिक्षा सम्बन्धी नवीनतम विधाओं पर पड़ने की जिनकी लालसा है, उनकी इस लालसा की पूर्ति बहुत बड़ी सीमा तक डॉ० रामपाल सिंह द्वारा सम्पादित इस पुस्तक से हो सकेगी, ऐसी आशा है ।
'शिक्षा में नवचिन्तन' जैसा कि पुस्तक का प्रस्तावित नाम है, शिक्षा-जगत के नवीनतम दार्शनिक, तकनीकी एवं शैक्षणिक विचारधाराओं से सम्बन्धित लेख अपने कलेवर में छिपाये है। ये सभी नेस उत्तर भारत के शिक्षा के क्षेत्र में अधि कार रखने वाले उच्च कोटि के विद्वानों तथा लेखकों के द्वारा लिखे गये हैं। इन लेखों के पढ़ने से आभास होता है कि लेखों में विद्वान नेलकों ने तथ्यों को पूरी तरह समझाकर प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। लेखों की भाषा-शैली आकर्षक तथा बोधगम्य है। सम्पादक ने सभी लेखों को तीन खण्डों में विभक्त किया गया है। और प्रत्येक खण्ड के प्रारम्भ में खण्ड में सम्मिलित लेखों का संक्षिप्त सारांश दिया है जिससे पुस्तक स्वयं ही अधिक उपयोगी बन गई है।
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