Mati mataal (Oriya novel)
Material type:
- 9789326351553
- H MOH G
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H MOH G (Browse shelf(Opens below)) | Available | 169175 |
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H MOH Mohan Thapliyal ki sampoorn khahaniya | H MOH A 2ed. Satt shikhar/ translated | H MOH G Parja/by Gopinath Mohanti;translated by Sankar Lal Purohit | H MOH G Mati mataal (Oriya novel) | H MOH G 7th ed. Maati Mataal / tr. by Shankar Lal Purohit | H MOH G 7th ed. Maati Mataal / tr. by Shankar Lal Purohit | H MOH H Tumhare liye bas |
माटीमटाल - ओड़िया के यशस्वी उपन्यासकार गोपीनाथ महान्ती का ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास है 'माटीमटाल'। यह रचना ओड़िया ही नहीं, समूचे भारत के ग्राम्य-जीवन का गौरव-ग्रन्थ है। गोपीनाथ महान्ती के कथा-संसार के प्रेरणास्रोत उनके देखे भोगे यथार्थ हैं, यह निर्विवाद है। चाहे आदिवासियों के, चाहे दलित वर्ग के और चाहे सुविधाभोगियों के सन्दर्भ में हो—उनके कथानकों में जीवन और कर्मठता की एक विशेष प्रकार की सहज अभिव्यक्ति है। विभिन्न प्रकार के विषयों और मनोभावों के अम्बार में और भिन्न-भिन्न सामाजिक परिवेशों में जी रहे पात्रों के चरित्र-चित्रण में गोपी बाबू परिस्थितिजन्य संकीर्णता और दैनन्दिन जीवन के सुपरिचित स्वार्थों की निर्लिप्तता से ऊपर उठकर मानव की अजेय चेतना की कीर्ति फैलाने में अत्यन्त सफल हुए हैं। शोषण के विभिन्न रूपों को दिखाते हुए उनकी कथाएँ शोषक और शोषण के सम्बन्धों को इतनी निर्ममता और सचाई से चित्रित करती हैं कि पाठक को इससे किसी एक वर्ग के प्रति रोष और दूसरे वर्ग के लिए, सहानुभूति उपजने से अधिक जटिल मानवीय स्थिति का बोध होता है। यह सब गोपीनाथ महान्ती की कलात्मक दृष्टि के कारण ही सम्भव हुआ है। और यही है उनके शिल्प की विशिष्टता। इसके माध्यम से यह एक सामाजिक स्थिति को 'मेटाफिज़िकल' स्तर पर उठाकर ला रखते हैं, 'जहाँ शोषित वर्ग का विद्रोह केवल किसी अन्य वर्ग से सामाजिक न्याय पाने की प्रक्रिया मात्र न रहकर मनुष्य का नियति की क्रूरता से अपनी रक्षा करने का सार्वभौमिक प्रयास बन जाता है।' प्रस्तुत है ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित एक महान औपन्यासिक कृति।
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