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Kaare jahan daraaz hai (4 vol.set)

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Vani 2020Description: 330p.; 474p.; 518p.; 542pISBN:
  • 9789389012491
Subject(s): DDC classification:
  • H HYD K
Summary: क़ुर्रतुलऐन हैदर, ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे। बीसवीं सदी में प्रेमचन्द की विरासत के बाद कोई कथाकार ऐसा नहीं हुआ जैसी क़ुर्रतुलऐन हैदर। वह सही मायनों में एक जादूगर थीं। बहुत छोटी उम्र में उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था। फिर बँटवारे के बाद मजबूरी में उन्हें कराची जाना पड़ा, लेकिन जल्द ही वह लन्दन चली गयीं, जहाँ बी.बी.सी. में काम करती रहीं। वापस आने पर उन्होंने आग का दरिया जैसा बहुमूल्य उपन्यास लिखा, जिसने उर्दू उपन्यास की दुनिया ही को बदल डाला। उनकी कहानियों के संग्रह पतझड़ की आवाज़ पर साहित्य अकादेमी ने उन्हें अपना साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया और बाद में फेलोशिप भी प्रदान की गयी। आख़िर-ए शब के हमसफ़र पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। वह पद्मश्री और पद्मभूषण से अलंकृत थीं। उनकी कृतियों में कारे जहाँ दराज़ है एक ख़ास तरह की किताब है जो जितना ही उनके ख़ानदान और पुरखों की गाथा है उतना ही वह एक अद्भुत उपन्यास है। गोया यह चारों खण्ड फ़ैक्ट और फ़िक्शन का अजीबोग़रीब मेल है।
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क़ुर्रतुलऐन हैदर, ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे। बीसवीं सदी में प्रेमचन्द की विरासत के बाद कोई कथाकार ऐसा नहीं हुआ जैसी क़ुर्रतुलऐन हैदर। वह सही मायनों में एक जादूगर थीं। बहुत छोटी उम्र में उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था। फिर बँटवारे के बाद मजबूरी में उन्हें कराची जाना पड़ा, लेकिन जल्द ही वह लन्दन चली गयीं, जहाँ बी.बी.सी. में काम करती रहीं। वापस आने पर उन्होंने आग का दरिया जैसा बहुमूल्य उपन्यास लिखा, जिसने उर्दू उपन्यास की दुनिया ही को बदल डाला। उनकी कहानियों के संग्रह पतझड़ की आवाज़ पर साहित्य अकादेमी ने उन्हें अपना साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया और बाद में फेलोशिप भी प्रदान की गयी। आख़िर-ए शब के हमसफ़र पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। वह पद्मश्री और पद्मभूषण से अलंकृत थीं। उनकी कृतियों में कारे जहाँ दराज़ है एक ख़ास तरह की किताब है जो जितना ही उनके ख़ानदान और पुरखों की गाथा है उतना ही वह एक अद्भुत उपन्यास है। गोया यह चारों खण्ड फ़ैक्ट और फ़िक्शन का अजीबोग़रीब मेल है।

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