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Rajbhasha samasya: vyavharik samadhan v.1985

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; National Pub.; 1985Description: 243 pDDC classification:
  • H 491.4309 GAN
Summary: इस पुस्तक में, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आधुनिक भारत में भाषा-स्थिति के विकास का विस्तृत विश्लेषण किया गया है । पुस्तक में भाषा की जटिल समस्या पर विशेष प्रकाश डाला गया है। लेखक ने भारत की वास्त विक भाषा-स्थिति की तुलना अन्य बहुभाषाभाषी देशों की स्थिति से की है। पुस्तक में देश की भाषा स्थिति की मुख्य बातों को, परिगणन-ब्योरे एवं अधिकृत प्रमाणों द्वारा युक्तिपूर्वक स्पष्ट किया गया है। पुस्तक में एशिया के महानतम देशों में गिने जाने वाले भारत की भाषा-समस्या से संबंधित पर्याप्त यथार्थ सामग्री को एकत्रित किया गया है। लेखक ने तथ्यों का क्रमबद्ध वर्णन, मौलिक व्याख्या, निष्कर्ष एवं परामर्श देकर पुस्तक को रोचक एवं उपादेय बना दिया है
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इस पुस्तक में, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आधुनिक भारत में भाषा-स्थिति के विकास का विस्तृत विश्लेषण किया गया है । पुस्तक में भाषा की जटिल समस्या पर विशेष प्रकाश डाला गया है। लेखक ने भारत की वास्त विक भाषा-स्थिति की तुलना अन्य बहुभाषाभाषी देशों की स्थिति से की है। पुस्तक में देश की भाषा स्थिति की मुख्य बातों को, परिगणन-ब्योरे एवं अधिकृत प्रमाणों द्वारा युक्तिपूर्वक स्पष्ट किया गया है। पुस्तक में एशिया के महानतम देशों में गिने जाने वाले भारत की भाषा-समस्या से संबंधित पर्याप्त यथार्थ सामग्री को एकत्रित किया गया है। लेखक ने तथ्यों का क्रमबद्ध वर्णन, मौलिक व्याख्या, निष्कर्ष एवं परामर्श देकर पुस्तक को रोचक एवं उपादेय बना दिया है

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