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Deshdrohi

By: Material type: TextTextPublication details: Allahabad Lokbharti Publication 2014Description: 216pISBN:
  • 9788180313738
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.4315  YAS
Summary: हमारे वर्तमान जीवन का यथार्थ क्या है? क्या ऐसे समय में भी मिथ्या-विश्वास और प्रवंचना की पिनक में संतुष्ट रह सकना संभव है? सौंदर्य और तृप्ति की अभिलाषा उत्पन्न कर देना एक काम है ! सौंदर्य और तृप्ति की स्मृति जगा कर सुख की अनुभूति उत्पन्न कर देना भी काम है, परन्तु उससे बढ़कर काम हो सकता है, सौंदर्य और तृप्ति के साधनों की उत्पादन और परिस्थिति के निर्माण के लिए भावना और संकेत द्वारा सहयोग देना ! साहित्य का कलाकार केवल चारण बनकर सौंदर्य, पौरुष और तृप्ति की महिमा गाकर ही अपने सामाजिक कर्त्तव्य को पूरा नहीं कर सकता । विकास और पूर्णता के सामाजिक प्रयत्न की इच्छा और उत्साह उत्पन्न करना और उस उत्साह को विवेक और विश्लेषण की प्रवृति द्वारा सजग और सचेत रखने की भावना जगाना, साहित्य के कलाकार का काम है ।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 891.4315 YAS (Browse shelf(Opens below)) Available 168562
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हमारे वर्तमान जीवन का यथार्थ क्या है? क्या ऐसे समय में भी मिथ्या-विश्वास और प्रवंचना की पिनक में संतुष्ट रह सकना संभव है? सौंदर्य और तृप्ति की अभिलाषा उत्पन्न कर देना एक काम है ! सौंदर्य और तृप्ति की स्मृति जगा कर सुख की अनुभूति उत्पन्न कर देना भी काम है, परन्तु उससे बढ़कर काम हो सकता है, सौंदर्य और तृप्ति के साधनों की उत्पादन और परिस्थिति के निर्माण के लिए भावना और संकेत द्वारा सहयोग देना ! साहित्य का कलाकार केवल चारण बनकर सौंदर्य, पौरुष और तृप्ति की महिमा गाकर ही अपने सामाजिक कर्त्तव्य को पूरा नहीं कर सकता । विकास और पूर्णता के सामाजिक प्रयत्न की इच्छा और उत्साह उत्पन्न करना और उस उत्साह को विवेक और विश्लेषण की प्रवृति द्वारा सजग और सचेत रखने की भावना जगाना, साहित्य के कलाकार का काम है ।

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