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Main nirvaasit nhi

By: Material type: TextTextPublication details: Uttrakhand Communication 2018Description: 575 pSubject(s): DDC classification:
  • H 891.43 GHI
Summary: राम एवं सीता एक दूसरे के पर्याय हैं। राम का वर्णन यदि करने बैठे तो सीता अपरिहार्य हो जाती है। सीता की उदातता, सौन्दर्य एवं जीवनी शक्ति भी राम के बिना अपूर्ण हो जाती है। इसीलिए जब भी कोई विचारक, लेखक, रचनाकार, इन पर कुछ लिखना चाहता है तो दोनों ही अपनी-अपनी अनिवार्यता के साथ प्रकट हो जाते हैं। इसी प्राकट्य को नाम दिया गया है-"मैं निर्वासिता नहीं"।
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राम एवं सीता एक दूसरे के पर्याय हैं। राम का वर्णन यदि करने बैठे तो सीता अपरिहार्य हो जाती है। सीता की उदातता, सौन्दर्य एवं जीवनी शक्ति भी राम के बिना अपूर्ण हो जाती है। इसीलिए जब भी कोई विचारक, लेखक, रचनाकार, इन पर कुछ लिखना चाहता है तो दोनों ही अपनी-अपनी अनिवार्यता के साथ प्रकट हो जाते हैं। इसी प्राकट्य को नाम दिया गया है-"मैं निर्वासिता नहीं"।

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