Kuchh alpa viraam
Material type:
- 9789386871541
- H 891.4303 JOS
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Gandhi Smriti Library | H 891.4303 JOS (Browse shelf(Opens below)) | Available | 173082 | ||
![]() |
Gandhi Smriti Library | H 891.4303 JOS (Browse shelf(Opens below)) | Available | 172152 |
Browsing Gandhi Smriti Library shelves Close shelf browser (Hides shelf browser)
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
||
H 891.4303 JAL Saakh | H 891.4303 JHA Score kya hua? Bhartiya cricket 1721-2021 | H 891.4303 JOS Zindagi ka bonus | H 891.4303 JOS Kuchh alpa viraam | H 891.4303 JOS Palbhar ki pahachan | H 891.4303 JOS Zindagi ka bonus | H 891.4303 JOS Kuchh alpa viraam |
‘कुछ अल्प विराम’ को साहित्य की किसी एक विधा के खाँचे में डालकर नहीं देखा जा सकता, क्योंकि यह विधाओं की परिधि को तोड़कर जिंदगी की सच्चाई से सीधा संबंध जोड़ती है। इसमें जीवन के उन सभी छोटे-बड़े प्रसंगों को इकट्ठा करने की कोशिश की है, जो गुदगुदाते हैं, हँसाते हैं, रुलाते हैं, कभी हल्की सी चपत लगाते हैं और कभी चिकोटी काट लेते हैं। सबकुछ उतना ही जितना जरूरी है, हमें हमारी असमय नींद या तंद्रा से जगाने के लिए काफी है। कभी लघुकथा के माध्यम से, तो कभी किस्से के माध्यम से और कभी-कभी संस्मरण के माध्यम से।
There are no comments on this title.