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Prabandh ke mul sindhant tatha karya

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Shivank 2022Description: 280 pISBN:
  • 9789383980376
Subject(s): DDC classification:
  • H 658.001 KUM
Summary: आधुनिक प्रगतिशील युग में प्रबंध का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रबंध तो एक ऐसा सर्वव्यापी शब्द हो गया है कि जिसकी सभी प्रकार के संगठनों में आवश्यकता होती है। आज के युग में व्यवसायिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है चाहे उपक्रम छोटा हो या बड़ा, उसको प्रतिस्पर्धा का सामना करना ही पड़ता है। अतः प्रभावशाली प्रबंधकीय विधियों का सहारा लेकर ही उपक्रम प्रतिस्पर्धा में टिक पाता है। प्रबंध विशेषज्ञ प्रो. पीटर एफ. ड्रकर ने प्रबंध का महत्त्व स्पष्ट करते हुए लिखा है कि, "यह आर्थिक साधनों के विधिवत् संगठन के द्वारा मनुष्य के जीवन के नियंत्रण की सम्भावनाओं के विश्वास को प्रकट करता है। यह इस सम्भावना के विश्वास को भी प्रकट करता है कि मानवीय सुधार एवं सामाजिक न्याय के लिए आर्थिक परिवर्तन को एक महत्त्वपूर्ण यन्त्र बनाया जा सकता है।" डर्विक एवं ब्रेच के अनुसार, "कोई भी सिद्धांत, वाद अथवा राजनैतिक विचारधारा सीमित मानवीय और भौतिक साधनों के उपयोग से कम प्रयत्न द्वारा अधिक उत्पादन सम्भव नहीं बना सकते। यह केवल दोष रहित प्रबंध द्वारा ही सम्भव हो सकता है। अधिक उत्पादन के इस आधार पर ही सर्व साधारण के लिए उच्च जीवन-स्तर, अधिक अवकाश तथा अधिक सुविधाओं की उपलब्धि की नींव रखी जा सकती है।" वर्तमान समय में शायद प्रबंध से अधिक महत्त्वपूर्ण मानवीय क्रिया का कोई और क्षेत्र नहीं है। समाज को अधिकाधिक लाभ तभी मिल सकता है, जब न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन किया जाए और यह प्रभावशाली प्रबंध द्वारा ही सम्भव है।
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आधुनिक प्रगतिशील युग में प्रबंध का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रबंध तो एक ऐसा सर्वव्यापी शब्द हो गया है कि जिसकी सभी प्रकार के संगठनों में आवश्यकता होती है। आज के युग में व्यवसायिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है चाहे उपक्रम छोटा हो या बड़ा, उसको प्रतिस्पर्धा का सामना करना ही पड़ता है। अतः प्रभावशाली प्रबंधकीय विधियों का सहारा लेकर ही उपक्रम प्रतिस्पर्धा में टिक पाता है। प्रबंध विशेषज्ञ प्रो. पीटर एफ. ड्रकर ने प्रबंध का महत्त्व स्पष्ट करते हुए लिखा है कि, "यह आर्थिक साधनों के विधिवत् संगठन के द्वारा मनुष्य के जीवन के नियंत्रण की सम्भावनाओं के विश्वास को प्रकट करता है। यह इस सम्भावना के विश्वास को भी प्रकट करता है कि मानवीय सुधार एवं सामाजिक न्याय के लिए आर्थिक परिवर्तन को एक महत्त्वपूर्ण यन्त्र बनाया जा सकता है।" डर्विक एवं ब्रेच के अनुसार, "कोई भी सिद्धांत, वाद अथवा राजनैतिक विचारधारा सीमित मानवीय और भौतिक साधनों के उपयोग से कम प्रयत्न द्वारा अधिक उत्पादन सम्भव नहीं बना सकते। यह केवल दोष रहित प्रबंध द्वारा ही सम्भव हो सकता है। अधिक उत्पादन के इस आधार पर ही सर्व साधारण के लिए उच्च जीवन-स्तर, अधिक अवकाश तथा अधिक सुविधाओं की उपलब्धि की नींव रखी जा सकती है।" वर्तमान समय में शायद प्रबंध से अधिक महत्त्वपूर्ण मानवीय क्रिया का कोई और क्षेत्र नहीं है। समाज को अधिकाधिक लाभ तभी मिल सकता है, जब न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन किया जाए और यह प्रभावशाली प्रबंध द्वारा ही सम्भव है।

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