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Jansanchar samitiyan aayog evam media sansthayein

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Shivank Prakashan 2021Description: 212 pISBN:
  • 9789383980239
Subject(s): DDC classification:
  • H 302.230954 JAN
Summary: पुस्तक में मूलत: दो भाग हैं। प्रथम भाग में स्वतंत्रता पूर्व भारत तथा विदेश में गठित समितियों और आयोग को एवं स्वतंत्रता के पश्चात गठित समितियों और आयोग के संस्तुतियों का उल्लेख किया गया है। पुस्तक के दूसरे भाग में समितियों और आयोग के संस्तुतियों के बाद गठित नवीनतम संस्थाओं का उल्लेख तो किया गया ही है साथ ही में समाचार-पत्र, विज्ञापन, रेडियों तथा टेलीविजन माध्यमों के लिए कार्यरत राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय संगठन का उल्लेख भी किया गया है। परिशिष्ट में जनसंचार से संबंधित विभिन्न मीडिया संघठन के अध्यक्षों की सूची शामिल है। मूलतः इस संकल्प के पीछे मेरी दृष्टि में यह पुस्तक पत्रकारिता एवं जनसंचार के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए तो मुख्यतः उपयोगी हों ही, साथ ही साथ इन विषयों के नवीन शिक्षकों और समाचार-पत्रों में कार्यरत पत्रकारिता के चौथे धर्म का पालन करने वाले नए पत्रकारों के लिए भी समान रूप से उपयोगी हो और कहना न होगा कि सामान्य पाठकों तथा इस विषय में रुचि रखनेवाले जिज्ञासुओं के लिए भी वह पुस्तक उन्हें विभिन्न समितियों, आयोग और संगठनों के गठन की जानकारी देने में सफल साबित होगी।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 302.230954 JAN (Browse shelf(Opens below)) Available 168474
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पुस्तक में मूलत: दो भाग हैं। प्रथम भाग में स्वतंत्रता पूर्व भारत तथा विदेश में गठित समितियों और आयोग को एवं स्वतंत्रता के पश्चात गठित समितियों और आयोग के संस्तुतियों का उल्लेख किया गया है। पुस्तक के दूसरे भाग में समितियों और आयोग के संस्तुतियों के बाद गठित नवीनतम संस्थाओं का उल्लेख तो किया गया ही है साथ ही में समाचार-पत्र, विज्ञापन, रेडियों तथा टेलीविजन माध्यमों के लिए कार्यरत राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय संगठन का उल्लेख भी किया गया है। परिशिष्ट में जनसंचार से संबंधित विभिन्न मीडिया संघठन के अध्यक्षों की सूची शामिल है।

मूलतः इस संकल्प के पीछे मेरी दृष्टि में यह पुस्तक पत्रकारिता एवं जनसंचार के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए तो मुख्यतः उपयोगी हों ही, साथ ही साथ इन विषयों के नवीन शिक्षकों और समाचार-पत्रों में कार्यरत पत्रकारिता के चौथे धर्म का पालन करने वाले नए पत्रकारों के लिए भी समान रूप से उपयोगी हो और कहना न होगा कि सामान्य पाठकों तथा इस विषय में रुचि रखनेवाले जिज्ञासुओं के लिए भी वह पुस्तक उन्हें विभिन्न समितियों, आयोग और संगठनों के गठन की जानकारी देने में सफल साबित होगी।

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