Gramin vikas Bharteey sandarbh
Material type:
- 9789382998969
- H 307.14120954 SAV
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 307.14120954 SAV (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168472 |
भारत गांवों का देश है और उसमें से लगभग आधे गांवों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है आजादी के बाद से ग्रामीण जनता का जीवन स्तर सुधारने के लिए ठोस प्रयास किये गये हैं. इसलिए ग्रामीण विकास विकास की एकीकृत अवधारणा रही है और सभी पंचवर्षीय योजनाओं में गरीबी उन्मूलन की सर्वोपरि चिन्ता रही है।
जनसहभागिता एवं राज्य तथा केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन तथा मूल्यांकन की महती आवश्यकता होती है भारत जैसे देश में जहां आज भी 62 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है. तथा कृषि विकास दर अभी 4 प्रतिशत तक ही है ऐसे में ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की उपादेयता और अधिक बढ़ जाती है। भारत में पंचायती राज व्यवस्था के सफल क्रियान्वयन के बाद अब विकास में पंचायतों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि अन्ततः सारी योजनाओं में पंचायत प्रतिनिधियों को ही वरीयता दी जाती है।।
भारत के सन्दर्भ में बिना ग्रामो के राष्ट्र को उन्नति की कल्पना कोरी रह जायेगी. आज भारत दुनिया तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को तैयार है, ऐसे में बिना ग्रामीण विकास के इस लक्ष्य को पाना असम्भव है। भारत सरकार दो सौ से अधिक विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रम के माध्यम से जहां ग्रामीण विकास के प्रति सचेष्ट है, वही हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम अपने विकास मात्रा में बिना लिंग भेद के बिना जाति, धर्म भेद के सबको समान अवसर प्रदान करते हुए समग्र विकास के प्रति सचेष्ट बनें।
प्रस्तुत पुस्तक में जहां वर्तमान के ई-शासन के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन तथा सूचना संचार, तकनीकी माध्यम से सूचनाओं के आदान-प्रदान की चर्चा की गयी है, वहीं सहकारिता, पंचायती राज व्यवस्था, वित्तीय समावेशन तथा पंचवर्षीय योजनाओं में ग्रामीण विकास की उपलब्धियों पर यथा सम्भव सामग्री उपलब्ध कराने की कोशिश की गयी है।
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