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Grameen vikas karyakram

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Shivank Prakashan 2021.Description: 232 pISBN:
  • 9789382998976
Subject(s): DDC classification:
  • H 307.14120954 SAV
Summary: महात्मा गांधी के इस कथन कि भारत की आत्मा गांव में बसती है को चरितार्थ करने के लिए गांव के समग्र विकास हेतु विकास कार्यक्रमों का नियोजन क्रियान्वयन और समय-समय पर उसका मूल्यांकन अत्यन्त आवश्यक होता है ये ग्रामीण विकास के कार्यक्रम सरकार के विकास के नीतियों के प्रतिफलन होते हैं, बिना इनके ग्रामीण समाज के समग्र विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वर्तमान समय में जहां लगभग 62 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है वहां भारत की जी.डी.पी. में इसका योगदान 15 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में कुछ पूर्ववर्ती कार्यक्रम आज भी महत्वपूर्ण हैं इस दिशा में नाबार्ड, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास निधि के अलावा वर्तमान में प्रधानमन्त्री कौशल विकास योजना युवा सशक्तिकरण ग्रामीण विकास की दिशा में एक अति महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में जनप्रतिनिधियों तथा भारत सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी योजना की तरह स्मार्ट गांव के लिए भी एकीकृत योजनायें बनायी जा रही हैं। वर्तमान समय में ग्राम सभा, ग्रामीण विकास की संसाधन की प्राथमिक इकाई है, जो पंचायती राज्य व्यवस्था के आधार पर सम्पादित होती है, इसे ही ग्रामीण विकास का मूल स्रोत माना जाता है। मनरेगा जैसी महत्त्वपूर्ण योजनाएं आज ग्रामीण जीवन के लिए जीवनदायिनी बनी हुई है। अब यह योजना न रहकर एक अधिनियम बन गया है, जिसमें संवैधानिक मान्यता प्राप्त हो गयी है। समता, समानता की दृष्टि से ग्रामीण विकास कार्यक्रम सर्वसमाज के लिए हितकारी हॉ तथा इनके उचित क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं को रोकने के क्या उपाय किये जा सकते हैं, इसका भी अध्ययन आवश्यक होता है। प्रस्तुत पुस्तक की रचना इसी दिशा में किया गया एक प्रयास है, जिसमें क्षेत्रीय विकास एवं उसके विनियोजन समाज की आधी आबादी का विकास में भागीदारी, आम आदमी की विकास की योजनाओं को निरुपण किया गया है। सौ से अधिक चल रहे ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को इसमें सम्मिलित कर पाना सम्भव नहीं है, इसलिए उन कार्यक्रमों के मूल तत्व और विकास से जुड़े मूल उपागमों को इसमें सम्मिलित किया गया है।
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महात्मा गांधी के इस कथन कि भारत की आत्मा गांव में बसती है को चरितार्थ करने के लिए गांव के समग्र विकास हेतु विकास कार्यक्रमों का नियोजन क्रियान्वयन और समय-समय पर उसका मूल्यांकन अत्यन्त आवश्यक होता है ये ग्रामीण विकास के कार्यक्रम सरकार के विकास के नीतियों के प्रतिफलन होते हैं, बिना इनके ग्रामीण समाज के समग्र विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वर्तमान समय में जहां लगभग 62 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है वहां भारत की जी.डी.पी. में इसका योगदान 15 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में कुछ पूर्ववर्ती कार्यक्रम आज भी महत्वपूर्ण हैं इस दिशा में नाबार्ड, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास निधि के अलावा वर्तमान में प्रधानमन्त्री कौशल विकास योजना युवा सशक्तिकरण ग्रामीण विकास की दिशा में एक अति महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में जनप्रतिनिधियों तथा भारत सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी योजना की तरह स्मार्ट गांव के लिए भी एकीकृत योजनायें बनायी जा रही हैं। वर्तमान समय में ग्राम सभा, ग्रामीण विकास की संसाधन की प्राथमिक इकाई है, जो पंचायती राज्य व्यवस्था के आधार पर सम्पादित होती है, इसे ही ग्रामीण विकास का मूल स्रोत माना जाता है।

मनरेगा जैसी महत्त्वपूर्ण योजनाएं आज ग्रामीण जीवन के लिए जीवनदायिनी बनी हुई है। अब यह योजना न रहकर एक अधिनियम बन गया है, जिसमें संवैधानिक मान्यता प्राप्त हो गयी है। समता, समानता की दृष्टि से ग्रामीण विकास कार्यक्रम सर्वसमाज के लिए हितकारी हॉ तथा इनके उचित क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं को रोकने के क्या उपाय किये जा सकते हैं, इसका भी अध्ययन आवश्यक होता है।

प्रस्तुत पुस्तक की रचना इसी दिशा में किया गया एक प्रयास है, जिसमें क्षेत्रीय विकास एवं उसके विनियोजन समाज की आधी आबादी का विकास में भागीदारी, आम आदमी की विकास की योजनाओं को निरुपण किया गया है। सौ से अधिक चल रहे ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को इसमें सम्मिलित कर पाना सम्भव नहीं है, इसलिए उन कार्यक्रमों के मूल तत्व और विकास से जुड़े मूल उपागमों को इसमें सम्मिलित किया गया है।

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