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Hindi karyshaala: ek avlokan

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Prashant book 2022.Description: 217pISBN:
  • 9789383963508
Subject(s): DDC classification:
  • H 491.43 SIN
Summary: कार्यशाला दैनिक शिक्षा कौशल और नवीन कार्यशाला, शिक्षण, कौशल के नए तरीकों, शिक्षित कामकाज और शिक्षण का व्यापक ढंग और रचनात्मक कौशल प्रदान करती है। कार्यशाला स्वयं सीखने चार्ट, कॉमिक्स, पुस्तकों आदि के प्रयोग के लिए आवश्यक है। कार्यशाला शिक्षा की दिशा बदलने से मन शैक्षिक, प्रशासकों, शिक्षकों, अभिभावकों, शिक्षकों, आदि की जरूरत उच्च प्राथमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा, स्वरोजगार और सृजन के लिए शिक्षा की कार्य क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है। हिंदी कार्यशालाओं में कार्यालय के आकार और कार्यलयीन सुविधा - असुविधा को ध्यान में रखकर एक दिवसीय, दो दिवसीय, तीन दिवसीय या कभी-कभी आधे-आधे दिन की चार दिवसीय कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। यदि सत्रों की बात करें तो इन कार्यशालाओं में 6 से 16 सत्रों तक का आयोजन किया जाता है। इतने कम समय में हमें प्रतिभागियों को कैप्सूल कोर्स की तरह संघ की राजभाषा नीति, यूनिकोड, हिंदी टिप्पणी, पत्राचार, हिंदी कार्यों की रिकार्डिंग और रिपोर्टिंग, व्याकरण, वर्तनी, शब्दावली आदि से संबंधित भारी-भरकम जानकारी देनी होती है और समुचित अभ्यास भी कराना होता है। ऐसी बात नहीं है कि कार्यशालाए उपयोगी सिद्ध नहीं हुई हैं। कार्यशाला के इसी स्वरूप को हमने कई वर्षों तक अपनाए रखा। समय की कमी तथा कार्यालयों की सुविधा को ध्यान में रखकर ऐसी कार्यशालाएं व्यावहारिक हैं। लेकिन यदि गंभीरता से विचार किया जाए तो पता चलेगा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं से होने वाला लाभ सीमित है।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 491.43 SIN (Browse shelf(Opens below)) Available 168448
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कार्यशाला दैनिक शिक्षा कौशल और नवीन कार्यशाला, शिक्षण, कौशल के नए तरीकों, शिक्षित कामकाज और शिक्षण का व्यापक ढंग और रचनात्मक कौशल प्रदान करती है। कार्यशाला स्वयं सीखने चार्ट, कॉमिक्स, पुस्तकों आदि के प्रयोग के लिए आवश्यक है।

कार्यशाला शिक्षा की दिशा बदलने से मन शैक्षिक, प्रशासकों, शिक्षकों, अभिभावकों, शिक्षकों, आदि की जरूरत उच्च प्राथमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा, स्वरोजगार और सृजन के लिए शिक्षा की कार्य क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है। हिंदी कार्यशालाओं में कार्यालय के आकार और कार्यलयीन सुविधा - असुविधा को ध्यान में रखकर एक दिवसीय, दो दिवसीय, तीन दिवसीय या कभी-कभी आधे-आधे दिन की चार दिवसीय कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। यदि सत्रों की बात करें तो इन कार्यशालाओं में 6 से 16 सत्रों तक का आयोजन किया जाता है। इतने कम समय में हमें प्रतिभागियों को कैप्सूल कोर्स की तरह संघ की राजभाषा नीति, यूनिकोड, हिंदी टिप्पणी, पत्राचार, हिंदी कार्यों की रिकार्डिंग और रिपोर्टिंग, व्याकरण, वर्तनी, शब्दावली आदि से संबंधित भारी-भरकम जानकारी देनी होती है और समुचित अभ्यास भी कराना होता है।

ऐसी बात नहीं है कि कार्यशालाए उपयोगी सिद्ध नहीं हुई हैं। कार्यशाला के इसी स्वरूप को हमने कई वर्षों तक अपनाए रखा। समय की कमी तथा कार्यालयों की सुविधा को ध्यान में रखकर ऐसी कार्यशालाएं व्यावहारिक हैं। लेकिन यदि गंभीरता से विचार किया जाए तो पता चलेगा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं से होने वाला लाभ सीमित है।

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