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Mein se maa tak

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Rajpal 2021Description: 127 pISBN:
  • 9789386534606
Subject(s): DDC classification:
  • H 158.1 JAI
Summary: माँ बनने के साथ शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर जो परिवर्तन होते हैं और अनुभूतियों में जो उतार-चढ़ाव आते हैं उनके बारे में बहुत अंतरंगता से मैं से माँ तक में बात की गयी है। साथ ही कुटुम्ब को आगे बढ़ाने के लिए जो परिवार और समाज का दबाव और अपेक्षा का बोझ एक नयी-नवेली दुल्हन पर डाला जाता है, उसकी भी चर्चा है।माँ बनने पर औरत के पूरे व्यक्तित्व, सोच और जीवन-मूल्यों में परिवर्तन आ जाता है, एक तरह से उसका अस्तित्व ही बदल जाता है और माँ का रूप उसके अन्य सभी अस्तित्वों पर जैसे हावी हो जाता है।मैं से माँ तक अनुभव यात्रा केवल अंकिता जैन की ही नहीं, बल्कि वह उन सब महिलाओं और बहुत से दम्पतियों की है जो जीवन के इस सुन्दर मोड़ पर हैं। वे सब लेखिका की यात्रा में अपनी यात्रा की कहानी पायेंगे। अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान अंकिता जैन ने प्रभात खबर और लल्लनटॉप में ‘माँ-इन-मेकिंग’ स्तम्भ लिखना शुरू किया, जिसे पाठकों ने बहुत पसन्द किया और वहीं से इस पुस्तक की प्रेरणा मिली। तीन वर्षों तक वह बतौर सम्पादक और प्रकाशक के रूप में मासिक पत्रिका रू-ब-रू दुनिया का प्रकाशन कर चुकी हैं और अब तक अंकिता जैन का एक कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुका है।
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माँ बनने के साथ शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर जो परिवर्तन होते हैं और अनुभूतियों में जो उतार-चढ़ाव आते हैं उनके बारे में बहुत अंतरंगता से मैं से माँ तक में बात की गयी है। साथ ही कुटुम्ब को आगे बढ़ाने के लिए जो परिवार और समाज का दबाव और अपेक्षा का बोझ एक नयी-नवेली दुल्हन पर डाला जाता है, उसकी भी चर्चा है।माँ बनने पर औरत के पूरे व्यक्तित्व, सोच और जीवन-मूल्यों में परिवर्तन आ जाता है, एक तरह से उसका अस्तित्व ही बदल जाता है और माँ का रूप उसके अन्य सभी अस्तित्वों पर जैसे हावी हो जाता है।मैं से माँ तक अनुभव यात्रा केवल अंकिता जैन की ही नहीं, बल्कि वह उन सब महिलाओं और बहुत से दम्पतियों की है जो जीवन के इस सुन्दर मोड़ पर हैं। वे सब लेखिका की यात्रा में अपनी यात्रा की कहानी पायेंगे। अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान अंकिता जैन ने प्रभात खबर और लल्लनटॉप में ‘माँ-इन-मेकिंग’ स्तम्भ लिखना शुरू किया, जिसे पाठकों ने बहुत पसन्द किया और वहीं से इस पुस्तक की प्रेरणा मिली। तीन वर्षों तक वह बतौर सम्पादक और प्रकाशक के रूप में मासिक पत्रिका रू-ब-रू दुनिया का प्रकाशन कर चुकी हैं और अब तक अंकिता जैन का एक कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुका है।

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