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Bharat me Dalit Jagaran avam desh ki Swatantra mai Dalito Ki Sabhagita

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi Shivank 2021Description: 272 pISBN:
  • 9789383980857
Subject(s): DDC classification:
  • H 305.56880954 ARY
Summary: भारत में दलित जागरण एवं देश को स्वयं की सहयता" नामक पुस्तक का प्रथम संस्करण किया जा रहा है। इस पुस्तक के लेखक डॉ. रोहन लाल आर्य हैं, जिन्होंने अपनी योग्यता से अनुभव से दलितों के लिए अप उपयोगी पुस्तक को बनाने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में लेखक ने दलित समाज के समाज सुधारकों, सामाजिक संगठनों शहीदों का परिचय देते हुए उनके योगदान का उल्लेख किया है। पुस्तक में लेखक ने तथागत भगवान बुद्ध. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर, ज्योतिबा फुले, अमृतानन्द मान्यवर काशीराम तथा संत रविदास, संत कबीर एवं शहीद पम सिंह, शहीद मातादीन, वीरांगना झलकारी बाई कोरी आदि अनेक समाज सुधारकों, शहरों तथा संतों के योगदान का उल्लेख किया गया है। लेखक ने देश को आजादी के 70 वर्ष बाद देश में गरीब तथा दलितों की स्थिति का भी आंकड़ों सहित तुलनात्मक विवरण दिया है। साथ ही साथ दलितों से सम्बन्धि महत्वपूर्ण अधिनियमों का भी उल्लेख प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। मेरा ऐसा मानना है कि यह पुस्तक एक ओर जहां दलितों का इतिहास होगी वहीं इस पुस्तक में पाठकों को अनेक विषयों पर दलित एवं गरीबों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण आँकड़ों को जानकारी होगी। इस पुस्तक के लेखक डॉ. रोहन लाल आर्य को में हृदय से धन्यवाद देता हूँ, शिन्होने कठोर परिश्रम, लगन तथा अपनी योग्यता तथा अनुभव से इस पुस्तक को दलित समाज के लिए उपयोगी बनाने का प्रयास किया है।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 305.56880954 ARY (Browse shelf(Opens below)) Available 168516
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भारत में दलित जागरण एवं देश को स्वयं की सहयता" नामक पुस्तक का प्रथम संस्करण किया जा रहा है। इस पुस्तक के लेखक डॉ. रोहन लाल आर्य हैं, जिन्होंने अपनी योग्यता से अनुभव से दलितों के लिए अप उपयोगी पुस्तक को बनाने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में लेखक ने दलित समाज के समाज सुधारकों, सामाजिक संगठनों शहीदों का परिचय देते हुए उनके योगदान का उल्लेख किया है। पुस्तक में लेखक ने तथागत भगवान बुद्ध. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर, ज्योतिबा फुले, अमृतानन्द मान्यवर काशीराम तथा संत रविदास, संत कबीर एवं शहीद पम सिंह, शहीद मातादीन, वीरांगना झलकारी बाई कोरी आदि अनेक समाज सुधारकों, शहरों तथा संतों के योगदान का उल्लेख किया गया है। लेखक ने देश को आजादी के 70 वर्ष बाद देश में गरीब तथा दलितों की स्थिति का भी आंकड़ों सहित तुलनात्मक विवरण दिया है। साथ ही साथ दलितों से सम्बन्धि महत्वपूर्ण अधिनियमों का भी उल्लेख प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। मेरा ऐसा मानना है कि यह पुस्तक एक ओर जहां दलितों का इतिहास होगी वहीं इस पुस्तक में पाठकों को अनेक विषयों पर दलित एवं गरीबों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण आँकड़ों को जानकारी होगी।

इस पुस्तक के लेखक डॉ. रोहन लाल आर्य को में हृदय से धन्यवाद देता हूँ, शिन्होने कठोर परिश्रम, लगन तथा अपनी योग्यता तथा अनुभव से इस पुस्तक को दलित समाज के लिए उपयोगी बनाने का प्रयास किया है।

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