Thokdaar kisi ki nahin sunta
Material type:
- 9789386452405
- H BAT T
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Gandhi Smriti Library | H BAT T (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168379 |
Browsing Gandhi Smriti Library shelves Close shelf browser (Hides shelf browser)
थोकदार किसी की नहीं सुनता एक उपन्यास है।
'थोकदार किसी की नहीं सुनता' पिछली सदी के मध्य से भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में हो रहे बदलावों को एक गाँव के परिप्रेक्ष्य में देखने, समझने और अभिव्यक्त करने का चुनौतीपूर्ण प्रयास है। एक कठोर नैतिक आग्रह इस उपन्यास की धुरी है। उपन्यासकार बटरोही पहाड़ी (कुमाउनी) ग्रामीण जीवन को जिस संवेदनशीलता, अंतरदृष्टि और आत्मीयता से पकड़ते हैं, वह उनकी रचनाओं को एक विशिष्ट आयाम प्रदान करते हैं। उनकी शैली की विशिष्टता उनके शब्दों के अत्यंत सजग चयन में है जो कुमाउनी और हिंदी के शब्दों के आकर्षक मिश्रण को किसी जड़ाऊ काम-सी चमत्कृत और अभिभूत करने वाली साबित होती है।
There are no comments on this title.