Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Kaldi se Kedar

By: Material type: TextTextPublication details: Dehradun Samay Sakshay 2019Edition: 1st edDescription: 117 pISBN:
  • 9789388165402
Subject(s): DDC classification:
  • UK 954 NAU
Summary: 'कालड़ी से केदार' मैंने साल 2013 में लिखनी शुरू की थी। किसी किताब को लिखने में 6 साल की अवधि यकीनन ज्यादा है। इस किताब को पूरा करने में इतना समय इसलिए लग गया कि तथ्यों को मैं न केवल जुटाना चाहता था बल्कि उनसे यथासम्भव साक्षात्कार भी करना चाहता था। 2013 के बाद 2018 में ही दक्षिण भारत की यात्रा संभव हो पाई । अस्तु एक लम्बा समय इस दरम्यान चुक गया। यह इतिहास की किताब नहीं है। ऐतिहासिक तथ्यों का समावेश इसमें है ज़रूर, लेकिन उनको उसी सीमा तक शामिल किया गया है जहां तक वह सन्दर्भों को स्पष्ट करने के लिए जरूरी थे। यह स्पष्ट करना भी यहाँ जरूरी है कि ऐतिहासिक सन्दर्भों को हासिल करने के लिए मैंने अकादमिक स्रोतों के बजाय प्रचलित पत्र-पत्रिकाओं और जानकारों से बातचीत को माध्यम बनाया है। अतः यह संभव है कि कहीं-कहीं इस पुस्तक में दिए गए ऐतिहासिक सन्दर्भ किसी अन्य और अपेक्षाकृत ज्यादा प्रमाणिक स्रोत से कुछ अलग हों।
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Gandhi Smriti Library UK 954 NAU (Browse shelf(Opens below)) Available 168337
Total holds: 0

'कालड़ी से केदार' मैंने साल 2013 में लिखनी शुरू की थी। किसी किताब को लिखने में 6 साल की अवधि यकीनन ज्यादा है। इस किताब को पूरा करने में इतना समय इसलिए लग गया कि तथ्यों को मैं न केवल जुटाना चाहता था बल्कि उनसे यथासम्भव साक्षात्कार भी करना चाहता था। 2013 के बाद 2018 में ही दक्षिण भारत की यात्रा संभव हो पाई । अस्तु एक लम्बा समय इस दरम्यान चुक गया।

यह इतिहास की किताब नहीं है। ऐतिहासिक तथ्यों का समावेश इसमें है ज़रूर, लेकिन उनको उसी सीमा तक शामिल किया गया है जहां तक वह सन्दर्भों को स्पष्ट करने के लिए जरूरी थे। यह स्पष्ट करना भी यहाँ जरूरी है कि ऐतिहासिक सन्दर्भों को हासिल करने के लिए मैंने अकादमिक स्रोतों के बजाय प्रचलित पत्र-पत्रिकाओं और जानकारों से बातचीत को माध्यम बनाया है। अतः यह संभव है कि कहीं-कहीं इस पुस्तक में दिए गए ऐतिहासिक सन्दर्भ किसी अन्य और अपेक्षाकृत ज्यादा प्रमाणिक स्रोत से कुछ अलग हों।

There are no comments on this title.

to post a comment.

Powered by Koha