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Uttarakhand ke pauranik mele

By: Material type: TextTextPublication details: Uttarakhand Sanskriti vibhag 2019Description: 212 pSubject(s): DDC classification:
  • UK 398.204 BAL
Summary: उत्तराखंड के पौराणिक स्थलों, देवालयों, नदियों के संगम आदि स्थानों में समय-समय पर सैकड़ों मेले आयोजित होते रहते हैं। यहां के मेलों के आयोजन में जितनी विविधता और पौराणिक प्रसंगों की प्रधानता है, ऐसा अन्य प्रांतों में शायद ही हो। पांडवों को स्मृति में बिस्सू, म मुखेम में नागराज कृष्ण से संबंधित मेला, सिठीनस्यूँ का सीता मेला आदि पौराणिक घटनाओं और पुराणों से संबंधित ऐसे ही अनगिनत मेले हैं, जो सुदूर ग्रामीण अंचलों में पर्यो आदि के अवसर पर आयोजित होते हैं। यहां के अधिकांश मेले धार्मिक है किंतु अनेक मेले ऐसे भी हैं जिनमें शौर्य प्रदर्शन किया जाता रहा है। जबकि प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में वस्तुओं के क्रय विक्रय के उद्देश्य से विशाल व्यापारिक मेलों के आयोजन होते रहे हैं। पुस्तक में इसी प्रकार के लगभग दो सौ मेलों का उल्लेख है।
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उत्तराखंड के पौराणिक स्थलों, देवालयों, नदियों के संगम आदि स्थानों में समय-समय पर सैकड़ों मेले आयोजित होते रहते हैं।
यहां के मेलों के आयोजन में जितनी विविधता और पौराणिक प्रसंगों की प्रधानता है, ऐसा अन्य प्रांतों में शायद ही हो। पांडवों को स्मृति में बिस्सू, म मुखेम में नागराज कृष्ण से संबंधित मेला, सिठीनस्यूँ का सीता मेला आदि पौराणिक घटनाओं और पुराणों से संबंधित ऐसे ही अनगिनत मेले हैं, जो सुदूर ग्रामीण अंचलों में पर्यो आदि के अवसर पर आयोजित होते हैं।
यहां के अधिकांश मेले धार्मिक है किंतु अनेक मेले ऐसे भी हैं जिनमें शौर्य प्रदर्शन किया जाता रहा है। जबकि प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में वस्तुओं के क्रय विक्रय के उद्देश्य से विशाल व्यापारिक मेलों के आयोजन होते रहे हैं।
पुस्तक में इसी प्रकार के लगभग दो सौ मेलों का उल्लेख है।

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