Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Uttarakhand ka parwatiya samaj aur badalta aarthik paridrishy

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Dehradun Samay sakshay 2021Description: 166 pISBN:
  • 9789390743063
Subject(s): DDC classification:
  • UK 338.9 KUK
Summary: समय की नब्ज पकड़ कर उसे पढ़ने, समझने और बांचने की सराहनीय कोशिश है 'तीन दशक के अंतराल की दो शोध यात्राएं- उत्तराखंड का पर्वतीय समाज और बदलता आर्थिक परिदृश्य ।' यह विचार ही रोमांचित कर देता है कि इस साझा पुस्तक के दोनों शोध यात्रियों डा. अरुण कुकसाल तथा श्री चंद्रशेखर तिवारी ने साथियों संग तीस वर्ष पूर्व पहाड़ के 76 दुर्गम गांवों की कठिन यात्रा की और उन्हीं गांवों के जन-जीवन तथा सामाजिक और आर्थिक अध्ययन के लिए तीन दशक के बाद पुनः यात्रा की। तीस वर्षों के विस्तृत कालखंड में पुनर्यात्रा करके गांवों के बदले हुए। परिदृश्य को देखना और पहाड़ के उन गावों में तथाकथित विकास के चेहरे को सामने रखना यायावर लेखकद्वय की कठिन यात्राओं का असली हासिल है। इन यात्राओं के संस्मरणों को पढ़ना पहाड़ की बहुत करीब से समझना तो होगा ही, शोधार्थियों के लिए भी यह पुस्तक महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)

समय की नब्ज पकड़ कर उसे पढ़ने, समझने और बांचने की सराहनीय कोशिश है 'तीन दशक के अंतराल की दो शोध यात्राएं- उत्तराखंड का पर्वतीय समाज और बदलता आर्थिक परिदृश्य ।' यह विचार ही रोमांचित कर देता है कि इस साझा पुस्तक के दोनों शोध यात्रियों डा. अरुण कुकसाल तथा श्री चंद्रशेखर तिवारी ने साथियों संग तीस वर्ष पूर्व पहाड़ के 76 दुर्गम गांवों की कठिन यात्रा की और उन्हीं गांवों के जन-जीवन तथा सामाजिक और आर्थिक अध्ययन के लिए तीन दशक के बाद पुनः यात्रा की। तीस वर्षों के विस्तृत कालखंड में पुनर्यात्रा करके गांवों के बदले हुए। परिदृश्य को देखना और पहाड़ के उन गावों में तथाकथित विकास के चेहरे को सामने रखना यायावर लेखकद्वय की कठिन यात्राओं का असली हासिल है। इन यात्राओं के संस्मरणों को पढ़ना पहाड़ की बहुत करीब से समझना तो होगा ही, शोधार्थियों के लिए भी यह पुस्तक महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

There are no comments on this title.

to post a comment.

Powered by Koha