Jaunpur : sanskritik evam rajneetik etihash
Material type:
- 8186810641
- UK 306.405451 PUN
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | UK 306.405451 PUN (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168280 |
हिमालय अनन्तकाल से विस्मयों का क्षेत्र रहा है। इसके गगनचुम्बी शिखरों एवं गहन गम्भीर घाटियों में छिपे रहस्यों को जानने के लिए आदिकाल से ही ऋषियों, मुनियों एवं उत्तरवर्ती कालों में विभिन्न विज्ञानियों, इतिहासकारों एवं शोधकर्ताओं ने सतत् प्रयास किया है। सुरेन्द्र पुण्डीर का यह प्रयास भी उसी परम्परा को आगे बढ़ाता है। इसमें उन्होंने हिमालय के क्षेत्र विशेष की पुरातन जातियों के सांस्कृतिक रूपों को उजागर करने के साथ-साथ उसके इतिहास एवं लोक जीवन की आधुनिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है।
यूँ तो उत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्रों पर इतिहासकारों ने अपनी लेखनी से प्रकाश डाला है, किन्तु उसका पश्चिमोत्तर क्षेत्र, विशेषकर रवाँई-जौनपुर एवं जौनसार बावर क्षेत्र अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अपने वास्तविक रूप में प्रकाश में नहीं आ पाया है। अपनी विशिष्टाओं के कारण जौनपुर बाहरी संसार के लिए रहस्यमय जनजातीय क्षेत्र बना रहा है।
नये युग के आलोक में लेखकों ने आगे बढ़कर इस रहस्यमय क्षेत्र पुरातन इतिहास व सांस्कृतिक स्वरूप को यथातथ्य सामने लाने का के प्रशंसनीय कार्य किया है। सुरेन्द्र पुण्डीर द्वारा प्रस्तुत जौनपुरः सांस्कृतिक एवं राजनीतिक इतिहास इस दिशा में किया गया अन्यतम प्रयास है। इसमें उन्होंने पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्रोतों से उपलब्ध सामग्री के आध र पर इस जनजातीय क्षेत्र के पुरातन इतिहास को प्रकाश में लाने का सराहनीय प्रयास किया है। साथ ही क्षेत्र के आधुनिक इतिहास की गतिविधियों को भी व्यक्तिगत जानकारियों एवं क्षेत्र के वृद्ध एवं जानकार लोगों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करने का कार्य भी किया है। पुस्तक में क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का बहुत निकट से सांगोपांग परिचय देने के अतिरिक्त क्षेत्र की सामाजिक व्यवस्थाओं, जीवन पद्धतियों, तीज-त्योहार, रहन-सहन, खान-पान, आवास-निवास, वस्त्र - भूषण आदि का यथातथ्य व स्वानुभूत परिचय प्रस्तुत किया है।
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