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Uttrakhand Andolan : ahinsatmak Janandolan

By: Material type: TextTextPublication details: Dehradun Samaysakshay 2020Description: 322 pISBN:
  • 978-93-86452-32-0
Subject(s): DDC classification:
  • UK 954.2 DIM
Summary: उत्तराखंड आन्दोलन क्षेत्रीय इतिहास ही नहीं बल्कि आधुनिक भारत के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण जन आन्दोलन रहा है। अपने सबसे महत्वपूर्ण भूलतत्व अहिंसा का प्रतीक यह आन्दोलन आज के दौर में ही नहीं बल्कि भविष्य में जन आन्दोलनों के प्रेरणास्रोत के रूप में जाना जाएगा। यह पुस्तक उत्तराखंड आन्दोलन की पृष्ठभूमि, इतिहास, तत्कालीन परिस्थितियों पर प्रकाश डालने के साथ जन प्रतिनिधित्व और जन भागीदारी के विभिन्न रूपों को आम जन तक पहुंचाने का प्रयास है। इस पुस्तक में उत्तराखंड क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को समझने तथा उत्तराखंड आन्दोलन को सिलसिलेवार रूप से अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। राष्ट्रीय व क्षेत्रीय अभिलेखागार में संरक्षित लेखों, आदोलन में सक्रिय व्यक्तियों से भेंट वार्ताओं, समाचार पत्रों, उत्तराखंड राज्य निर्माण सम्बंधित विधेयकों, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व जर्नल इत्यादि के शोध के आधार पर यह पुस्तक बन पायी। यह पुस्तक विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए लाभदायक सन्दर्भ सामग्री बनेगी ऐसी अपेक्षा है। अर्चना डिमरी लखनऊ विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में स्नातक व हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इतिहास में परास्नातक तथा उत्तराखंड आन्दोलन पर शोध करने वाली प्रथम महिला हैं। विभिन्न राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में अनेक शोध पत्र प्रकाशित। उत्तराखंड विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास, वर्तमान में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कन्या गुरुकुल परिसर, देहरादून में प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में अध्यापनरत। विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ जन चेतना के कार्यों का संचालन । वर्तमान में महिला उत्तरजन की सचिव तथा महिला उत्तरजन पत्रिका की सह सम्पादक। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखों तथा कविताओं का प्रकाशन, आकाशवाणी देहरादून में महिला जगत व बाल मंडल कार्यक्रम प्रस्तोता, विभिन्न मंचों पर जन जागरूकता के कार्यक्रमों का संचालन संस्कार भारती के माध्यम से उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति, सभ्यता व पुरातत्व पर आधारित धरोह यात्राओं का संचालन।
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उत्तराखंड आन्दोलन क्षेत्रीय इतिहास ही नहीं बल्कि आधुनिक भारत के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण जन आन्दोलन रहा है। अपने सबसे महत्वपूर्ण भूलतत्व अहिंसा का प्रतीक यह आन्दोलन आज के दौर में ही नहीं बल्कि भविष्य में जन आन्दोलनों के प्रेरणास्रोत के रूप में जाना जाएगा। यह पुस्तक उत्तराखंड आन्दोलन की पृष्ठभूमि, इतिहास, तत्कालीन परिस्थितियों पर प्रकाश डालने के साथ जन प्रतिनिधित्व और जन भागीदारी के विभिन्न रूपों को आम जन तक पहुंचाने का प्रयास है। इस पुस्तक में उत्तराखंड क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को समझने तथा उत्तराखंड आन्दोलन को सिलसिलेवार रूप से अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। राष्ट्रीय व क्षेत्रीय अभिलेखागार में संरक्षित लेखों, आदोलन में सक्रिय व्यक्तियों से भेंट वार्ताओं, समाचार पत्रों, उत्तराखंड राज्य निर्माण सम्बंधित विधेयकों, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व जर्नल इत्यादि के शोध के आधार पर यह पुस्तक बन पायी। यह पुस्तक विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए लाभदायक सन्दर्भ सामग्री बनेगी ऐसी अपेक्षा है।

अर्चना डिमरी लखनऊ विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में स्नातक व हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इतिहास में परास्नातक तथा उत्तराखंड आन्दोलन पर शोध करने वाली प्रथम महिला हैं। विभिन्न राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में अनेक शोध पत्र प्रकाशित। उत्तराखंड विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास, वर्तमान में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कन्या गुरुकुल परिसर, देहरादून में प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में अध्यापनरत। विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ जन चेतना के कार्यों का संचालन । वर्तमान में महिला उत्तरजन की सचिव तथा महिला उत्तरजन पत्रिका की सह सम्पादक। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखों तथा कविताओं का प्रकाशन, आकाशवाणी देहरादून में महिला जगत व बाल मंडल कार्यक्रम प्रस्तोता, विभिन्न मंचों पर जन जागरूकता के कार्यक्रमों का संचालन संस्कार भारती के माध्यम से उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति, सभ्यता व पुरातत्व पर आधारित धरोह यात्राओं का संचालन।

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