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Garhwal ek parichay

By: Material type: TextTextPublication details: Dehradun Samay Sakshya 2015Edition: 1st edDescription: 260 pSubject(s): DDC classification:
  • UK 001 BAH
Summary: प्रत्येक को अपने इतिहास पर गर्व होता है। आदिकाल से ही विश्व के मनीषियों, साहित्यकारों व ऋषि-मुनियों ने तत्कालीन स्थितियों व परिस्थितियों के अनुरूप तथ्यों, घटनाओं, व्यवस्थाओं आदि को लिपिबद्ध करने का प्रयास किया है, जो किआज इतिहास के महान स्त्रोत बने है। भारत के सन्दर्भ में वेद, पुराण, वैदिक साहित्य, आरण्यक, उपनिषद, पौराणिक-कला कृतियाँ, भित्ति चित्र आदि अनेक उपादान है जिनके द्वारा इतिहासकार तथ्य एकत्रित कर उसे शोध या ग्रन्थ का स्वरुप प्रदान करते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी की जिज्ञासा शान्त होती रहे व उन्हें अपने अतीत को जानकर गर्व महसूस हो सके। गढ़वाल के इतिहास के सम्बन्ध में आज तक सैकड़ों पुस्तकें प्रकाश में आयी हैं। चर्चित पुस्तकों में पं हरिकृष्ण रतूड़ी का 'गढ़वाल का इतिहास', भजन सिंह 'सिंह' का 'आर्यो का आदि निवास मध्य हिमालय', एटकिन्सन, शिवप्रसाद डबराल 'चारण' आदि रही है फिर भी इतिहास लेखन की प्यास तृप्त न हो सकी और यह सतत् बनी रहेगी क्योंकि प्रत्येक नई सुबह का पूर्व समय स्वयं में इतिहास है।
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Books Books Gandhi Smriti Library UK 001 BAH (Browse shelf(Opens below)) Available 168279
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प्रत्येक को अपने इतिहास पर गर्व होता है। आदिकाल से ही विश्व के मनीषियों, साहित्यकारों व ऋषि-मुनियों ने तत्कालीन स्थितियों व परिस्थितियों के अनुरूप तथ्यों, घटनाओं, व्यवस्थाओं आदि को लिपिबद्ध करने का प्रयास किया है, जो किआज इतिहास के महान स्त्रोत बने है। भारत के सन्दर्भ में वेद, पुराण, वैदिक साहित्य, आरण्यक, उपनिषद, पौराणिक-कला कृतियाँ, भित्ति चित्र आदि अनेक उपादान है जिनके द्वारा इतिहासकार तथ्य एकत्रित कर उसे शोध या ग्रन्थ का स्वरुप प्रदान करते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी की जिज्ञासा शान्त होती रहे व उन्हें अपने अतीत को जानकर गर्व महसूस हो सके।

गढ़वाल के इतिहास के सम्बन्ध में आज तक सैकड़ों पुस्तकें प्रकाश में आयी हैं। चर्चित पुस्तकों में पं हरिकृष्ण रतूड़ी का 'गढ़वाल का इतिहास', भजन सिंह 'सिंह' का 'आर्यो का आदि निवास मध्य हिमालय', एटकिन्सन, शिवप्रसाद डबराल 'चारण' आदि रही है फिर भी इतिहास लेखन की प्यास तृप्त न हो सकी और यह सतत् बनी रहेगी क्योंकि प्रत्येक नई सुबह का पूर्व समय स्वयं में इतिहास है।

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