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Saratchandra ke sampuran nibandh

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Delhi North India Publishers and Distributers 2020Edition: 3rd edDescription: 2vol.(360p.; 399p.)ISBN:
  • 9788193555927
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.443 SAR v.1
Summary: शरत्चंद्र द्वारा लिखित साहित्य कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ हैं। शरत्साहित्य में उनके पुरुष पात्रों से उनकी नायिकाएँ अधिक बलिष्ठ हैं। शरत्चंद्र की जनप्रियता उनकी कलात्मक रचना और नपे तुले शब्दों या जीवन से ओतप्रोत घटनावलियों के कारण नहीं है बल्कि उनके उपन्यासों में नारी जिस प्रकार परंपरागत बंधनों से छटपटाती दृष्टिगोचर होती है, जिस प्रकार पुरुष और स्त्री के संबंधों को एक नए आधार पर स्थापित करने के लिए पक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसी से शरत् को जनप्रियता मिली। उनकी रचना हृदय को बहुत अधिक स्पर्श करती है। पर शरत्साहित्य में हृदय के सारे तत्व होने पर भी उसमें समाज के संघर्ष, शोषण आदि पर कम प्रकाश पड़ता है। पल्ली समाज में समाज का चित्र कुछ कुछ सामने - आता है। महेश आदि कुछ कहानियों में शोषण का प्रश्न उभरकर आता है। उनके कुछ उपन्यासों पर आधारित हिन्दी फिल्में भी कई बार बनी हैं। इनके उपन्यास 'चरित्रहीन' पर आधारित 1974 में इसी नाम से फिल्म बनी थी। उसके बाद 'देवदास' को आधार बनाकर देवदास फिल्म का निर्माण तीन बार हो चुका है। पहली देवदास कुन्दन लाल सहगल द्वारा अभिनीत, दूसरी देवदास दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला द्वारा अभिनीत तथा तीसरी देवदास शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय द्वारा अभिनीत । इसके अतिरिक्त 1974 में चरित्रहीन, परिणीता- 1953 और 2005 में भी, बड़ी दीदी (1969) तथा मँझली बहन, आदि पर भी चलचित्रों के निर्माण हुए हैं।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 891.443 SAR v.1 (Browse shelf(Opens below)) Available 168258
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शरत्चंद्र द्वारा लिखित साहित्य कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ हैं। शरत्साहित्य में उनके पुरुष पात्रों से उनकी नायिकाएँ अधिक बलिष्ठ हैं। शरत्चंद्र की जनप्रियता उनकी कलात्मक रचना और नपे तुले शब्दों या जीवन से ओतप्रोत घटनावलियों के कारण नहीं है बल्कि उनके उपन्यासों में नारी जिस प्रकार परंपरागत बंधनों से छटपटाती दृष्टिगोचर होती है, जिस प्रकार पुरुष और स्त्री के संबंधों को एक नए आधार पर स्थापित करने के लिए पक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसी से शरत् को जनप्रियता मिली। उनकी रचना हृदय को बहुत अधिक स्पर्श करती है। पर शरत्साहित्य में हृदय के सारे तत्व होने पर भी उसमें समाज के संघर्ष, शोषण आदि पर कम प्रकाश पड़ता है। पल्ली समाज में समाज का चित्र कुछ कुछ सामने - आता है। महेश आदि कुछ कहानियों में शोषण का प्रश्न उभरकर आता है।

उनके कुछ उपन्यासों पर आधारित हिन्दी फिल्में भी कई बार बनी हैं। इनके उपन्यास 'चरित्रहीन' पर आधारित 1974 में इसी नाम से फिल्म बनी थी। उसके बाद 'देवदास' को आधार बनाकर देवदास फिल्म का निर्माण तीन बार हो चुका है। पहली देवदास कुन्दन लाल सहगल द्वारा अभिनीत, दूसरी देवदास दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला द्वारा अभिनीत तथा तीसरी देवदास शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय द्वारा अभिनीत । इसके अतिरिक्त 1974 में चरित्रहीन, परिणीता- 1953 और 2005 में भी, बड़ी दीदी (1969) तथा मँझली बहन, आदि पर भी चलचित्रों के निर्माण हुए हैं।

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