Poorvottar ki janjatiyan aur unka lokjeevan
Material type:
- 9789385696039
- NE 307.7 SIN
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | NE 307.7 SIN (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168249 |
हिंदी का विशाल पाठक-वर्ग पूर्वोत्तर भारत की अनोखी एवं अनदेखी लोकसंस्कृति को जानने-समझने के लिए अत्यंत जिज्ञासु रहा है, पर समस्या यह है कि हिंदी में पूर्वोत्तर पर बहुत कम सामग्री उपलब्ध है। अतः ऐसी स्थिति में इस पुस्तक का महत्व स्वतः बढ़ जाता है। पुस्तक में पूर्वोत्तर के आठों राज्यों की जनजातीय संस्कृति के प्रत्येक पक्ष को सम्पूर्णता में अंकन करता उत्कृष्ट आलेखों का सुंदर संकलन है। पूर्वोत्तर के लोकजीवन की अद्भुत झाँकी प्रत्येक आलेख में समग्रता से प्रतिबिम्बित हुई है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि लोकजीवन जिन बदलावों और संक्रमण की प्रक्रिया से गुजर रही है, उन्हें पुस्तक में बड़ी सूक्ष्मता से रेखांकित किया गया है। निश्चय ही यह पुस्तक पूर्वोत्तर के लोकजीवन और लोकसंस्कृति के प्रति गहन अभिरुचि रखने वाले पाठक समूह के लिए अति मूल्यवान सिद्ध होगी।
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