Saamaajik Parivartan
Material type:
- 9788131611784
- H 303.40954 BHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 303.40954 BHA (Browse shelf(Opens below)) | Checked out to Mahanadi Hostel OT Lounge (MAHANADI) | 2023-09-29 | 168143 |
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H 303.4 YAD Samajik chunotiya aur satat shiksha | H 303.40954 Bharat mein samajik parivertan | H 303.40954 BHA Bharat me samajik parivartan / edited by Singh,Manoj Kumar | H 303.40954 BHA Saamaajik Parivartan | H 303.40954 SUR Vyavstha-parivartan | H 303.43 Samajik vightan tatha niyantran | H 303.44 Samajik sarvekshan |
व्यक्ति समाज का रचयिता है। व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बन्धों से जो संरचना बनी है, वही समाज है। सामाजिक सम्बन्धों के इसी ताने-बाने से व्यक्ति और रचित समाज के बीच सम्बन्धों के स्वरूप स्थापित होते हैं। इसलिए व्यक्तियों के समाज के साथ कई संदर्भ हैं। समाज और व्यक्ति के सम्भावित रिश्ते को जानने की जिज्ञासा भी रहती है। इसी तरह किसी भी समाज में सामाजिक व्यवस्था प्रभावित होती रहती है। कई कारक, मान्यताएँ, परिस्थितियाँ और व्यवहार समाज में विचलन और गतिरोध उत्पन्न करते हैं। जो धीरे-धीरे सामाजिक समस्याओं का रूप ले लेते हैं। इन सामाजिक समस्याओं से मानवीय सामाजिक जीवन प्रभावित होता है और सामाजिक विघटन की भी सम्भावना बनती है। अतः समाज को बनाए रखने और उसे समृद्ध बनाने के लिए गहराई से इन समस्याओं को समझने की आवश्यकता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सामाजिक परिवर्तनों में आंदोलनों की महती भूमिका होती है। आन्दोलन समाजशास्त्र में सामूहिक व्यवहार के प्रतीक हैं। सामूहिक व्यवहार के यों तो कई स्वरूप हैं, पर आन्दोलन एक विशिष्ट प्रकार के व्यवहार का समूह है। समाज को बदलने और न बदलने की आकांक्षाएँ इसके साथ जुड़ी हुई हैं। दोनों ही सूरत जन अथवा वर्गीय आक्रोश को आन्दोलन के रूप में प्रकट करती हैं। सामाजिक आन्दोलन के अपने स्वरूप और प्रभाव हैं। तीन खंड में विभक्त यह संकलन भारतीय सन्दर्भों में इन्हीं सब बातों को रेखांकित करता है, जो विद्यार्थियों और पाठकों की समझ को तार्किकता प्रदान करेंगी।
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