Hindi Vyakaran
Material type:
- 9789388107921
- H 491.435 PRA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 491.435 PRA (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168193 |
यह हिंदी व्याकरण काशी नागरीप्रचारिणी सभा के अनुरोध और उत्तेजन से लिखा गया है। सभा ने लगभग पाँच वर्ष पूर्व हिंदी का एक सर्वांगपूर्ण व्याकरण लिखने का विचार कर इस विषय के दो-तीन ग्रंथ लिखवाए थे, जिनमें बाबू गंगाप्रसाद एम.ए. और पं. रामकर्ण शर्मा के लिखे हुए व्याकरण अधिकांश में उपयोगी निकले। तब सभा ने इन ग्रंथों के आधार पर अथवा स्वतंत्र रीति से, विस्तृत हिंदी व्याकरण लिखने का गुरुभार मुझे सौंप दिया। इस विषय में पं. महावीरप्रसाद जी द्विवेदी और पं. माधवराव सप्रे ने भी सभा से अनुरोध किया था, जिसके लिए मैं आप दोनों महाशयों का कृतज्ञ हूँ। मैंने इस कार्य में किसी विद्वान् को आगे बढ़ते हुए न देखकर अपनी अल्पज्ञता का कुछ भी विचार न किया और सभा का दिया हुआ भार धन्यवादपूर्वक तथा कर्त्तव्यबुद्धि से ग्रहण कर लिया। उस भार को अब मैं पाँच वर्ष के पश्चात्, इस पुस्तक के रूप में यह कहकर सभा को लौटाता हूँ कि
'अर्पित है, गोविंद, तुम्हीं को वस्तु तुम्हारी।'
इस ग्रंथ की रचना में मैंने पूर्वोक्त दोनों व्याकरणों से यत्र-तत्र सहायता ली है और हिंदी व्याकरणों के आज तक छपे हुए हिंदी और अँगरेजी ग्रंथों का भी थोड़ा-बहुत उपयोग किया है। इन सब ग्रंथों की सूची पुस्तक के अंत में दी गई है। द्विवेदी जी लिखित 'हिंदी भाषा की उत्पत्ति और ब्रिटिश विश्वकोष' के 'हिंदुस्तानी' नामक लेख के आधार पर, इस पुस्तक में, हिंदी की उत्पत्ति लिखी गई है। अरबी, फारसी शब्दों की व्युत्पत्ति के लिए मैं अधिकांश में राजा शिवप्रसाद कृत 'हिंदी व्याकरण और प्लाट्स कृत 'हिंदुस्तानी ग्रामर' का ऋणी हूँ। काले कृत 'उच्च संस्कृत व्याकरण' से मैंने संस्कृत व्याकरण के अंश लिए हैं।
सबसे अधिक सहायता मुझे दामले कृत 'शास्त्रीय मराठी व्याकरण' से मिली है, जिसकी शैली पर मैंने अधिकांश में अपना व्याकरण लिखा है। पूर्वोक्त पुस्तक से मैंने हिंदी में घटित होने वाले व्याकरण विषयक कई एक वर्गीकरण, विवेचन, नियम और न्यायसम्मत लक्षण, आवश्यक परिवर्तन के साथ लिए हैं। संस्कृत व्याकरण के कुछ उदाहरण भी मैंने इस पुस्तक से संग्रह किए हैं।
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