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Bhartiya kanoon me mahilaon ke adhikar

By: Material type: TextTextPublication details: Kanpur Aman Publication 2020Description: 128 pISBN:
  • 9789390265008
Subject(s): DDC classification:
  • H 346.540134 SIN
Summary: सत्या सिंह और कानून का चोली-दामन का साथ रहा है। भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं से सम्बन्धित कानूनों की उत्पत्ति पर इस पुस्तक में व्याख्यान अवश्य ही एक उच्च कोटि का शोध है। लेखिका ने भारतीय जन मानस में इस विरोधाभास को इंगित किया है कि एक तरफ जहां भारत में महिलाओं को देवी माना जाता है और उन्हें पूजा जाता है, लेकिन इन सबसे इतर जो ज्यादा जरूरी है वह है उन्हें उनका अधिकार, सुरक्षा, समाज में दर्जा दिलाने का प्रयास, बजाए उनकी पूजा करने के। सत्या सिंह ने अपने पुलिस कार्यकाल में महिलाओं तक कानून की पहुंच बनाने में जमीनी प्रयास किए और वह अभी भी अपने पूरे जोश, उत्साह और मदद की भावना से ओतप्रोत हैं। वह व्यवहार कुशल है, उनकी कानून की विभिन्न धाराओं के प्रयोग पर पकड़ है और, वह अपने संपर्क में आने वालों से एक संबंध सा बना लेती हैं। महिलाओं को अपने कानून के प्रति जागरूक रहने का उन्होंने बीड़ा उठाया हुआ है, और ये पुस्तक उन्हीं प्रयासों की बानगी है। लेखिका ने आपको महिलाओं के उन अधिकारों से रूबरू कराया है, जो महिलाओं को समाज में सुरक्षित और बेहतर जीवन जीने की आजादी देते हैं। मुझे विश्वास है कि पाठक इस पुस्तक के आलोक में कानून की जानकारी रहते हुए महिला सशत्तिफ़करण को संबल देंगे।
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Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Gandhi Smriti Library H 346.540134 SIN (Browse shelf(Opens below)) Checked out to Ganga Hostel OT Launge (GANGA) 2023-09-28 168148
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सत्या सिंह और कानून का चोली-दामन का साथ रहा है। भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं से सम्बन्धित कानूनों की उत्पत्ति पर इस पुस्तक में व्याख्यान अवश्य ही एक उच्च कोटि का शोध है। लेखिका ने भारतीय जन मानस में इस विरोधाभास को इंगित किया है कि एक तरफ जहां भारत में महिलाओं को देवी माना जाता है और उन्हें पूजा जाता है, लेकिन इन सबसे इतर जो ज्यादा जरूरी है वह है उन्हें उनका अधिकार, सुरक्षा, समाज में दर्जा दिलाने का प्रयास, बजाए उनकी पूजा करने के। सत्या सिंह ने अपने पुलिस कार्यकाल में महिलाओं तक कानून की पहुंच बनाने में जमीनी प्रयास किए और वह अभी भी अपने पूरे जोश, उत्साह और मदद की भावना से ओतप्रोत हैं। वह व्यवहार कुशल है, उनकी कानून की विभिन्न धाराओं के प्रयोग पर पकड़ है और, वह अपने संपर्क में आने वालों से एक संबंध सा बना लेती हैं। महिलाओं को अपने कानून के प्रति जागरूक रहने का उन्होंने बीड़ा उठाया हुआ है, और ये पुस्तक उन्हीं प्रयासों की बानगी है। लेखिका ने आपको महिलाओं के उन अधिकारों से रूबरू कराया है, जो महिलाओं को समाज में सुरक्षित और बेहतर जीवन जीने की आजादी देते हैं। मुझे विश्वास है कि पाठक इस पुस्तक के आलोक में कानून की जानकारी रहते हुए महिला सशत्तिफ़करण को संबल देंगे।

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